देश की राजनीति में इन दिनों अजब गजब घटनाएं देखने को मिल रही हैं। देश भर में विपक्षी पार्टियां भाजपा पर अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं और विधायकों को तोड़ने का रोना रोती हैं लेकिन पश्चिम बंगाल देश का एक ऐसा प्रदेश है जहां भाजपा ममता बनर्जी पर अपने नेताओं और तोड़ने का आरोप लगा रही है।

विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद से ही टीएमसी में शामिल होने की होड़ सी मची हुई है। भाजपा में जैसे भगदड़ मच गई है।

भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अब किसी भी कीमत पर टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं चाहे उन्हें सिर के बाल ही क्यों न मुंडवाना पड़े !

मामला पश्चिम बंगाल के हुगली की है। एक दो नहीं बल्कि एक साथ 200 भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सामूहिक रुप से अपना मुंडन कराया और वापस टीएमसी में शामिल हो गए।

इन सभी कार्यकर्ताओं ने बताया कि हमने टीएमसी से अलग होकर गलती की। भाजपा जैसी पार्टी में जाना किसी पाप से कम नहीं था। अतः हम अपना सिर मंुंडवा कर अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं।

इन सभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुंडन के बाद गंगा जल से स्नान किया और टीएमसी में वापस से शामिल हो गए।

इसके बाद इन सभी कार्यकर्ताओं ने आरामबाग इलाके में स्थानीय सांसद अपरुपा पोद्दार का हाथ पकड़ कर टीएमसी का झंडा थामा और ममता दीदी जिंदाबाद के नारे लगाए।

इस मौके पर सांसद अपरुपा पोद्दार की ओर से सभी के लिए भोजन का भी इंतजाम किया गया था।

बताया जाता है कि भाजपा से टीएमसी में शामिल होने वाले अधिकांश लोग दलित समुदाय से थे। मौके पर इन लोगों ने कहा कि भाजपा सिर्फ दलित विरोधी नहीं बल्कि इंसानियत विरोधी पार्टी है।

वैसी पार्टी के साथ जुड़ना किसी पाप से कम नहीं था। अब हम सही जगह पर वापस आ गए हैं।

हम लोगों ने अपनी ममता दीदी का हाथ छोड़कर गलती की थी। दीदी हमारी अपनी हैं, भाजपा वाले नहीं। दीदी तीसरी बार सीएम बनीं हैं। दीदी बंगाल को आगे ले जाएंगी।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि बंगाल की मिट्टी में शांति और अमन बसता है। भाजपा वाले इसे बिगाड़ना चाहते हैं। बंगाल की शांति को भंग करना चाहते हैं।

मालूम हो कि लगातार बंगाल के अलग अलग इलाकों से भाजपा कार्यकर्ताओं के सामूहिक टीएमसी में शामिल होने की खबरें आ रही हैं।

ममता बनर्जी पार्टी से बाहर गए लोगों को इतनी जल्दी पार्टी में लेने को इच्छुक नहीं दिखाई दी तो पूरे बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं ने धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल करना शुरु कर दो।

कई भाजपा नेताओं ने तो यहां तक दावा कर दिया कि हम दीदी के बिना नहीं रह सकते। हम भाजपा में नहीं रहेंगे, हमें टीएमसी में वापस ले लो। संभवतः भारत के इतिहास में इस प्रकार की चीजें पहली बार हो रही है।

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