भारत में फैली कोरोना महामारी के दौरान लाखों की तादाद में लोग बेरोजगार हो चुके हैं। देश में एक तरफ बढ़ रही गरीबी और बेरोजगारी ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी है। दूसरी तरफ अब महंगाई की मार ने आम जनता को बर्बाद करने का काम किया है।

देश में बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमतों के कारण मोदी सरकार विपक्षी दलों और आम जनता के निशाने पर है। सरकार द्वारा पेट्रोल डीजल पर भारी भरकम टैक्स वसूला जा रहा है।

इसी बीच आरटीआई के जरिए बड़ा खुलासा हुआ है। ये आरटीआई मध्यप्रदेश के नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा डाली गई थी।

खबर के मुताबिक, कोरोना महामारी की भीषण प्रकोप वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार द्वारा वसूले जाने वाला टैक्स रेवेन्यू लगभग 56 फीसदी बढ़ चुका है।

साल 2020-21 वित्तीय वर्ष में पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र सरकार ने 4.51 लाख करोड़ का टैक्स रेवेन्यू कमाया गया है।

आरटीआई के तहत हासिल की गई जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर 37,806.96 करोड़ रुपये का कस्टम्स ड्यूटी वसूली गई।

वहीँ पेट्रोलियम उत्पादों के विनिर्माण पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा किए गए हैं।

आपको बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर सरकार को कस्टम्स ड्यूटी के रूप में 46,046.09 करोड़ रुपये का टैक्स मिला था। वहीँ पेट्रोलियम उत्पादों के विनिर्माण पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की वसूली 2,42,267.63 करोड़ रुपये थी।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में परिवहन गतिविधियां लंबे समय तक थमी थीं।

इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ही कई विपक्षी नेताओं के निशाने पर है। इस आरटीआई में हुए खुलासे के बाद मोदी सरकार सवालों के कटघरे में आ चुकी है।

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