हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। गुजरात हाई कोर्ट ने मेहसाणा के विधायक के दफ्तर पर तोड़फोड़ मामले में हार्दिक की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि हार्दिक हार्दिक पटेल जामनगर लोकसभा सीट से बीजेपी को टक्कर दे सकते हैं। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद अब हार्दिक के चुनाव लड़ने की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं। हालांकि हार्दिक के पास अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प है।

दरअसल, निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक पटेल ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाए। लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बता दें कि निचली अदालत ने हार्दिक को दो साल की सज़ा सुनाई थी।

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हार्दिक ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, “गुजरात हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। चुनाव तो आते है जाते हैं लेकिन संविधान के खिलाफ़ भाजपा काम करी है। कांग्रेस पार्टी के पच्चीस साल के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ने से क्यों रोका जा रहा है। भाजपा के बहुत सारे नेताओं पर मुकदमें है, सजा भी है। लेकिन कानून सिर्फ हमारे लिए है”।

इसके साथ ही उन्होंने एक और ट्वीट कर अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। सत्य, अहिंसा और ईमानदारी से आम जनता की आवाज उठाते रहेंगे। जनता की सेवक कोंग्रेस पार्टी की सरकार बनाएंगे। पार्टी के लिए गुजरात समेत पूरे देश में प्रचार करूंगा। मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैं भाजपा के सामने झुका नहीं। सत्ता के सामने लडने का यह परिणाम हैं”।

क्या है मामला

पिछले साल जुलाई में मेहसाणा की विसनगर कोर्ट ने मेहसाणा के बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर पर हमला करने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके दो अन्य साथियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था। बाद में कोर्ट ने इस मामले में उन्हें ज़मानत दे दी थी।

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