ये खबर न सिर्फ सनसनीखेज है बल्कि कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने वाली एजेंसियों पर सवालिया निशान भी है। मामला एनआईए से जुड़ा हुआ है। आरोप लगाने वाले शख्स का नाम है अखिल गोगोई जो असम के जाने माने सामाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता हैं।

अखिल गोगोई नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के विरुद्ध आंदोलन की वजह से जेल में बंद हैं। अखिल गोगोई ने उन्हें जेल में यातना और लालच देने का आरोप लगाया है।

अखिल ने पत्र लिखकर एनआईए पर आरएसएस या भाजपा में शामिल होने की पेशकश करने का आरोप लगाया है।

अखिल गोगोई ने कहा कि जांच के दौरान एनआईए के अधिकारियों ने उनसे कहा कि अगर आप आरएसएस या भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो उन्हें तुरंत जमानत दे दिया जाएगा।

अखिल ने अपने पत्र में इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए लिखा है कि उन्हें एनआईए के मुख्यालय में लॉकअप नंबर 01 में रखा गया था। बिस्तर के लिए उन्हें एक मैला कंबल दिया गया था। बाहर का तापमान 3 से 4 डिग्री था और इतनी ठंड में भी उन्हें जमीन पर सोना पड़ा था।

एनआईए के अधिकारी अखिल गोगोई को लगातार लालच देते रहें कि तुम संघ या भाजपा ज्वाइन कर लो, तुम्हें जमानत भी मिलेगी और आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी खाली विधानसभा सीट से भाजपा का टिकट दिया जाएगा और सरकार बनने पर मंत्री भी बना दिया जाएगा।

अखिल गोगोई ने इसके आगे बताया कि उन्हें यह भी प्रस्ताव दिया गया आप कृषक मुक्ति संग्राम समिति छोड़ दें और असम के लोगों के बीच धर्मांतरण के विरुद्ध काम करें।

इतना ही नहीं धर्मांतरण को रोकने के लिए एक एनजीओ बनाने का भी प्रस्ताव एनआईए की ओर से दिया गया, जिसमें काम शुरु करने के लिए 20 करोड़ की फंडिंग की बात भी कही गई।

अखिल ने एनआईए के सभी प्रस्तावों को एक स्वर से खारिज कर दिया तो उसके बाद उनकी मुलाकात असम के मुख्यमंत्री या राज्य सरकार के किसी भी प्रभावशाली मंत्री से कराने की बात कही गई. अखिल ने इस प्रस्ताव को भी सिरे से खारिज कर दिया गया।

अखिल ने साफ किया कि उन्होंने एनआईए के हर प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया तो उनके खिलाफ कानून की अवमानना अथवा अवज्ञा करने वाला नागरिक करार देते हुए उनके खिलाफ गंभीर मामले दर्ज किए गए।

अखिल गोगोई ने यहां तक कहा कि प्रस्ताव नामंजूर किए जाने के बाद उन्हें 10 साल जेल और गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दी गई। इस तरह की मानसिक और शारीरिक यातना झेलने की वजह से 20 दिसंबर को अखिल की तबीयत बिगड़ गई।

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