देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। इन्हीं में से एक राज्य है असम जो पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। 126 सदस्यीय असम विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है।

यहां मुख्य मुकाबला भाजपा गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन के बीच है। असम में फिलहाल भाजपा गठबंधन की सरकार है।

इस बार असम विधानसभा चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून एक बड़ा मुद्दा है। असम में इस बिल का बड़ा विरोध है।

इसी क्रम में असम के 26 बुद्धिजीवियों ने असम की जनता से अपील की है कि वो किसी भी हाल में भाजपा को वोट न करें. इन बुद्धिजीवियों में असम के लेखक, शिक्षाविद, सांस्कृतिक कर्मी शामिल हैं।

हालांकि इन बुद्धिजीवियों ने किसी भी दल विशेष को वोट देने की बात नहीं कही है। इनका कहना है कि असम की जनता से हम अपील करते हैं कि आप अपना कीमती वोट उन्हीं दलों को दें जो बेहतर जीवन की शर्तों को स्वीकार करते हैं।

जिन बुद्धिजीवियों ने भाजपा के विरुद्ध वोट देने की अपील असम की जनता से की है।

उनमें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विद्वान डॉक्टर हिरेन गोहाईं, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता निरुपमा बोरगोहाईं, डॉक्टर लखीनंदन बोरा, असम पुलिस के पूर्व डीजीपी हरेकृष्णा डेका, डॉक्टर अरुपा पटंगिया कलिता, कुलादा कुमार भट्टाचार्या, अपूर्व शर्मा, संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार विजेता सुदक्षिणा शर्मा आदि शामिल हैं।

इन सभी 26 बुद्धिजीवियों में जो हस्तियां शामिल हैं, वह अपनी अपनी विधा के महारथी रहे हैं। असम को सांस्कृतिक रुप से बेहद जागरुक प्रदेश भी कहा जाता है, ऐसे में इन हस्तियों की अपील का खासा महत्व है।

असम की राजनीति के जानकारों का मानना है कि 26 बुद्धिजीवियों की अपील राज्य में भाजपा के गणित को बिगाड़ सकता है और उनकी संभावनाओं को ग्रहण लग सकता है।

इन बु़द्धजीवियों ने एक और अपील असम के क्षेत्रीय दलों से भी की है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि आप कोई भी ऐसा कदम न उठाएं, जिससे भाजपा को ताकत मिले या भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा हो जाए और वो एक बार फिर सत्ता में आ जाएं।

मीडिया के समक्ष इस संयुक्त अपील को जारी करने की पुष्टि करते हुए डॉक्टर हिरेन गोहाईं ने हम ये अपील असम की जनता के बेहतर जीवन के लिए कर रहे हैं।

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