बिहार के अररिया जिले में भीड़ द्वारा एक शख्स की हत्या कर दी गयी. यह घटना राबर्टगंज थाने के डाक हरिपुर गांव की है। जहां एक आदमी को गाय तस्कर समझ कर भीड़ ने उसकी हत्या कर दी।
पुलिस प्रशासन का इस घटना के बारे में कहना है कि महेश यादव और उसके दो साथी को गांव वालों ने गाय चोरी करते हुए देख लिया जिसके बाद वहां लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया जिसके बाद उसके दो और साथी भाग गए लेकिन महेश यादव नाम का शख्स भीड़ के हाथ लग गया और उसको मार मार के बेहोश कर दिया गया।
बाद में उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाया गया जहां पर उसकी मौत हो गयी।
एक ऐसी ही घटना जनवरी के महीने में हुई थी. जिसमे 55 साल के बुजुर्ग को भी गाय तस्कर समझ कर भीड़ ने उसे जान से मार दिया। ऐसी घटनाएं हमारे समाज में इतनी आसानी से घटित हो जा रही है.जिसका सुध लेने वाला आज वहां कोई नहीं दिखाई दे रहा है।
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बिहार की एनडीए सरकार और मुख्य तौर पर नीतीश कुमार की सबसे ज्यादा जवाबदेही बनती है. उनको बार-बार यह कहते हुए सुना गया है कि बिहार में सुशासन का राज है। लेकिन मोब लॉन्चिंग की घटनाएं वहां की सुशासन की पोल खोल रही है। यह दिखलाई देता है कि बिहार जहाँ के हवा में समाजिक समरसता रचा-बसा है. आज वहां भी आज ऐसी घटनाएं हो रही है।
इन सबके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी और आरएसएस गठजोड़ से वहां की बनी सरकार और ऐसे हिंसा को सह देने वाली राजनितिक पार्टियाँ और उसके नेता है। पिछले पांच साल में बिहार में भी जिस प्रकार की धर्म के नाम पर हिंसक मानसिकता को फैलाया जा रहा है. जिसके बाद हम दिखाई पड़ता है की रामनवमी , दुर्गापूजा विसर्जन में वहां सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं।