mamata banerjee
Mamata Banerjee

देश भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद भी मोदी सरकार अपने इस कानून को वापस लेने को तैयार नहीं हो रही है। वहीं देश के अलग-अलग राज्यों के विधानसभा से इस नागरिक कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किये जा रहे हैं।

इन राज्य सरकारों का साफ़ कहना है की वह केंद्र सरकार की इस विभाजनकारी कानून को अपने प्रदेश में लागू नहीं करेंगे। दरअसल पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने इस नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ आज विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है।

जिसमें टीएमसी अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा- ”एनपीआर, एनआरसी और सीएए आपस में जुड़े हुए हैं और नया नागरिकता कानून जन-विरोधी है। उन्होंने मांग की कि कानून को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

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ममता बनर्जी ने कहा, ‘सीएए जन विरोधी है, संविधान विरोधी है। हम चाहते हैं कि इस कानून को तत्काल वापस लिया जाये”। वहीं प्रस्ताव पेश करते वक़्त टीएमसी प्रमुख ने कहा ‘हमारी सरकार में दिल्ली में एनपीआर की बैठक में शामिल नहीं होने का साहस है और अगर भाजपा चाहे तो मेरी सरकार को बर्खास्त कर सकती है।’

मुख्यमंत्री के इस जवाब के बाद सदन ने प्रस्ताव पारित किया। वहीं इससे पहले भी देश के अन्य राज्यों में भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है। जिसमें सबसे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाया है। बता दें कि नागरिकता कानून के विरोध में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र भी लिख चुके है। जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसे काळा कानून से धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है।

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