माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने केंद्र की मोदी सरकार के उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें किसान आंदोलन के समर्थक पत्रकारों, नेताओं और एक्टिविस्ट्स के अकाउंट्स बंद करने को कहा गया था।

ट्विटर की इस नाफरमानी के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी ने ट्विटर के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।

बीजेपी नेताओं ने ट्विटर का बहिष्कार करने के लिए भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म koo एप पर स्विच करना शुरु कर दिया है। ट्विटर पर लाखों फॉलोवर्स रखने वाले मोदी सरकार के कई मंत्री कु एप पर आ गए हैं।

Koo एप पर स्विच करने वाले मंत्रियों में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी के नाम शामिल हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही दूसरे मंत्री भी ट्विटर छोड़ कु पर आ जाए।

Koo एप पर स्विच करने के साथ ही बीजेपी के कुछ नेता तो ट्विटर को खुलेआम धमकियां भी देते नज़र आ रहे हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने ट्विटर को धमकी देने वाला ट्वीट करते हुए लिखा, “आप कह रह हैं कि आप मंच हैं। फिर आप तय करें कि क्या हटाना है और क्या नहीं। आपको लॉ ऑफ लैंड के मुताबिक एक्ट करना होगा।

आपके अपने नियम नहीं हो सकते, देश संविधान पर आधारित है न कि कुछ कॉर्पोरेट नियमों पर”।

क्या है मामला?

दरअसल, केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर ट्विटर से 1,178 हैंडल्स को हटाने के लिए कहा था। सरकार ने कहा था कि ये हैंडल्स पाकिस्तान समर्थित, खालिस्तान समर्थकों के और विदेशों से ऑपरेट किए जा रहे थे और किसान आंदोलन को लेकर भ्रामक और भड़काऊ सामग्री फैला रहे थे।

सरकार के इसी आदेश का ट्विटर ने एक बयान जारी कर जवाब दिया है। ट्विटर ने अपने बयान में साफ़ कर दिया कि वो सरकार के कहने पर अभिव्यक्ति की आज़ादी को नहीं कुचल सकता।

ट्विटर ने अपने जवाब में कहा, “कंपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में है और हाल ही में केंद्र सरकार ने जिस आधार पर ट्विटर अकाउंट्स बंद करने को कहा, वो भारतीय क़ानूनों के अनुरूप नहीं हैं”।

सरकार ने ट्विटर से किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले कुछ मीडिया हाउस, पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स और नेताओं का अकाउंट भी बंद करने को कहा था। ट्विटर ने यहां बताया कि उसने इनमें से किसी का भा अकाउंट बंद नहीं किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here