देश में फैले कोरोना महासंकट के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने बीते दिनों चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। क्योंकि चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने कोविड-19 प्रोटोकॉल की खुलकर धज्जियां उड़ाई गई।

अब इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण प्रबंधन को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी और कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता जैसे मुद्दों पर सुनवाई करते हुए अहम् टिप्पणी की है।

दरअसल महाराष्ट्र में ही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सबसे पहले तबाही का मंजर बना था। राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा राज्य स्वास्थ्य मंत्री राकेश टोपे ने केंद्र सरकार के समक्ष रखा था।

इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच के जजों का कहना है कि उनके पास भी मदद मांगने के लिए फोन कॉल आ रहे हैं। राज्य में लोग मर रहे हैं। यह हम सब की नाकामी है।

महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि अस्पतालों में फायर ऑडिट शुरू किए जा चुके हैं।

कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि इस बारे में हमें मत बताइए कि अस्पतालों में दोबारा कोई हादसा नहीं होगा। इसका इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि आने वाले वक्त में ऐसा हादसा ना हो।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा है कि अस्पतालों में सिर्फ फायर ऑडिट पर ही नहीं। बल्कि हर तरह की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना जरूरी है। ताकि आने वाले समय में नासिक जैसा कोई हादसा ना हो पाए।

इसके अलावा अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन नहीं मिल रही है। मैं अपनी मां को वैक्सीन लगवाने के लिए काफी वक्त से इधर उधर भटक रहा हूं। लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।

इस याचिका में याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि हरिद्वार में हुए महाकुंभ से महाराष्ट्र लौटने वाले लोगों के ट्रेसिंग होनी चाहिए। क्योंकि महाकुंभ से लौटने वाले कई लोगों का कोरोना संक्रमण की चपेट में है।

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