Punjab

पंजाब में अवैध ढंग से बनने वाली शराब का सेवन करने के कारण 112 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने बिना लाइसेंस ‘देसी’ शराब बेचने वाले कई लोगों की गिरफ्तारी भी की है। हालांकि, विपक्ष ने इसके पीछे बड़े नेताओं का हाथ बताया है और पूरे मामले में CBI जांच की मांग भी की है।

दरअसल, ज़हरीली शराब पीने के कारण कई लोगों के आंख की रोशनी तो कई लोगों की जान चली गई है। ये सब मेथनॉल पॉइज़निंग के कारण हुआ है।

AAP नेता भगवत मान का कहना है कि अगर सरकार चाहे तो इसके पीछे के नेक्सस का पर्दाफाश कर सकती है। अरविंद केजरीवाल ने CBI जांच की मांग की है जिसपर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उन्हें अपने काम से काम रखने की सलाह दी है।

माना जाता है कि पंजाब में देसी और सस्ती शराब पीने का बहुत चलन है। बिना लाइसेंस, अवैध तरीके से शराब बनाई जाती है। ये शराब मार्किट की ब्रांडेड शराब के मुकाबले बहुत सस्ती होती है। इसलिए इसकी लोकप्रियता और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रांडेड शराब बहुत महंगी है जिसके चलते गरीबों को ऐसी ‘ज़हरीली’ शराब खरीदनी पड़ती है।

जब सरकार का ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि जनता को नशे के चंगुल से कैसे बचाएं, वो लाइसेंसड और अवैध शराब की बहस में उलझी है। सवाल उठता है कि गैरकानूनी शराब को बनाने और बेचने वाले लोगों की गिरफ्तारी 100 से ज़्यादा लोगों की जान जाने के बाद ही क्यों होती है?

सवाल उठता है कि इस काम को बल देने वाले बड़े लोगों की गिरफ्तारी कब होगी? क्या सरकार खुद इन गैरकानूनी धंधों को फलने-फूलने देती है?

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