पंजाब में अवैध ढंग से बनने वाली शराब का सेवन करने के कारण 112 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने बिना लाइसेंस ‘देसी’ शराब बेचने वाले कई लोगों की गिरफ्तारी भी की है। हालांकि, विपक्ष ने इसके पीछे बड़े नेताओं का हाथ बताया है और पूरे मामले में CBI जांच की मांग भी की है।
दरअसल, ज़हरीली शराब पीने के कारण कई लोगों के आंख की रोशनी तो कई लोगों की जान चली गई है। ये सब मेथनॉल पॉइज़निंग के कारण हुआ है।
AAP नेता भगवत मान का कहना है कि अगर सरकार चाहे तो इसके पीछे के नेक्सस का पर्दाफाश कर सकती है। अरविंद केजरीवाल ने CBI जांच की मांग की है जिसपर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उन्हें अपने काम से काम रखने की सलाह दी है।
Saddened by the loss of lives in Punjab due to illicit liquor. State govt needs to immediately take necessary steps to curb such mafias. The case should be handed over to CBI immediately as none of the illicit liquor cases from the last few months have been solved by local police
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 2, 2020
माना जाता है कि पंजाब में देसी और सस्ती शराब पीने का बहुत चलन है। बिना लाइसेंस, अवैध तरीके से शराब बनाई जाती है। ये शराब मार्किट की ब्रांडेड शराब के मुकाबले बहुत सस्ती होती है। इसलिए इसकी लोकप्रियता और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रांडेड शराब बहुत महंगी है जिसके चलते गरीबों को ऐसी ‘ज़हरीली’ शराब खरीदनी पड़ती है।
Unchecked price rise and high tax rate has forced poor people to turn towards hooch. A daily wager can’t buy liquor at current price. Desi liquor should be sold at reasonable prices to stop bootleggers who are playing with lives . #HoochTragedyPunjab @capt_amarinder
— khushpreet brar (@brarkhushh) August 2, 2020
जब सरकार का ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि जनता को नशे के चंगुल से कैसे बचाएं, वो लाइसेंसड और अवैध शराब की बहस में उलझी है। सवाल उठता है कि गैरकानूनी शराब को बनाने और बेचने वाले लोगों की गिरफ्तारी 100 से ज़्यादा लोगों की जान जाने के बाद ही क्यों होती है?
सवाल उठता है कि इस काम को बल देने वाले बड़े लोगों की गिरफ्तारी कब होगी? क्या सरकार खुद इन गैरकानूनी धंधों को फलने-फूलने देती है?