दुनियाभर में फैले कोरोना संकट के बीच इंडियन प्रीमियर लीग का आयोजन होने जा रहा है। भारत सरकार द्वारा आईपीएल को हरी झंडी दिए जाने के बाद इसका आयोजन 19 सितंबर से 10 नवंबर तक दुबई में किया जाएगा।

इस पर बीसीसीआई ने भी ऐलान कर यह पुष्टि कर दी है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर आईपीएल के स्पॉन्सर विवो को लेकर बवाल शुरू हो गया है।

गौरतलब है कि भारत में कोरोना फैलने से लेकर लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों की मौत का बदला लेने के चलते भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्स को बैन कर दिया है। जिसमें टिक टोक प्रमुख चीनी ऐप थी जो भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती थी।

बीसीसीआई ने बताया है कि आईपीएल टूर्नामेंट के दौरान मेडिकल प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाएगा। मेडिकल प्रोफेशनल और अस्पतालों के साथ बीसीसीआई ने संपर्क कर लिया है।

शुरुआती मैचों में स्टेडियम में दर्शक नहीं होंगे लेकिन बाद में दर्शकों को स्टेडियम में बैठने की अनुमति दी जा सकती है। इसके साथ ही आईपीएल के स्पॉन्सरशिप में कोई बदलाव नहीं किया गया है यानी कि इस साल भी आईपीएल को भी वही स्पॉन्सर करने जा रहा है।

गौरतलब है कि वीवो चाइनीज मोबाइल कंपनी है और देश में इन दिनों चीनी सामान का विरोध हो रहा है। इस मामले में एनडीटीवी के न्यूज़ एंकर सोहित मिश्रा ने ट्विटर पर ट्वीट कर लिखा है कि “अब देशहित में आईपीएल देखना बंद करो.. अगर देखोगे तो देशद्रोही कहलाओगे… वैसे BCCI के मैनेजमेंट में कौन कौन शामिल है?”

इसपर प्रतिक्रिया देते हुए अरविंद झा लिखते हैं- ये कभी मत भूलिए कि बीसीसीआई में डिसीजन मेकर अमित शाह का बेटा है. अगर चीन के स्पॉन्सरशिप के दम पर आईपीएल आगे बढ़ेगा तो यह माना जाना चाहिए कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सहमति के साथ हो रहा है। तमाम ऐप पर पाबंदी तो बस दिखावे के लिए लगाई गई है।

सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि देश भक्ति का ठेका सिर्फ मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग ने ले रखा है लेकिन यह सब पैसे का खेल है। आईपीएल ने तय किया है कि वह चीन की कंपनियों से पैसा लेता रहेगा, सच ही कहा था व्यापार उनके खून में है देश से बड़ा पैसा हो गया है।

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