13 साल की नाबालिग लड़की का अपहरण होता है, दो दिन क़ैद में रखकर उसका बलात्कार होता है और जब वो अपनी आपबीती सुनाने कोतवाली पहुंचती है तो पुलिस वाले उल्टे हैवान बन जाते हैं, पीड़ित की शिकायत लिखने के बजाए, उसे इंसाफ़ दिलाने के बजाए उल्टा उसे ही कोतवाली में बैठा लिया जाता है, उसके साथ बेहरमी से मारपीट की जाती है, पीड़ित की मां को भी कोतवाली से भगा दिया जाता है.

ये सनसनीखेज़ मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर का है. मीडिया में मामला आने के बाद एसपी ने सिटी कोतवाली टीआई अनूप यादव, एसआई गुरुदत्त शेषा और मोहनी शर्मा को सस्पेंड कर दिया है.

पीड़ित लड़की की मां का कहना है कि उनकी बेटी का अपहरण कर रेप किया गया. वो आरोपी की शिकायत लिखवाने कोतवाली पहुंची तो पुलिस उनकी 13 साल की बेटी को ही अंदर कोतवाली में बैठा लिया.

लड़की के साथ बेरहमी से मारपीट की गई. उसे इतना पीटा गया कि उनकी बेटी बेहोश हो गई. नाबालिग पीड़ित को रातभर लॉकअप में रखा गया.

पीड़ित लड़की मां का आरोप है कि उनकी बेटी पर बयान बदलने का दवाब बनाया जा रहा था, जब उसने पुलिस की बात मानने से इंकार कर दिया तो महिला पुलिसकर्मियों ने बेल्ट और लातों से इतना पीटा कि वो बेहोश हो गई. पीड़ित परिवार 31 अगस्त को फिर से रिपोर्ट लिखवाने के लिए सिटी कोतवाली पहुंचा तो उन्हें फिर भगा दिया गया.

1 सितंबर को तीसरी बार पहुंचने पर उनकी रिपोर्ट दर्ज की गई. हालांकि रिपोर्ट में आरोपी के खिलाफ़ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया जहा लेकिन एफआईआर में अपहरण का ज़िक्र नहीं किया गया है.

मामले की जानकारी मिलने पर बाल कल्याण समिति की न्यायपीठ के सदस्य और अध्यक्ष 3 सितंबर को पीड़ित परिवार से मिले. कल्याण समिति जब पीड़ित परिवार से बातचीत कर रही थी उसी समय रात करीब 9 बजे कोतवाली थाना प्रभारी अनूप यादव दुष्कर्म के आरोपी बाबू खान को लेकर पीड़ित के घर पहुंच गए.

जब समिति के सदस्यों ने इस बात पर एतराज़ जताया तो टीआई ने उनसे बदतमीज़ी की और कहाकि वो आरोपी की पहचान कराने के लिए लाए हैं, जबकि नियमानुसार नाबालिग पीड़ित के सामने आरोपी को नहीं ला सकते हैं.

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष टीआई की बदतमीज़ी की शिकायत कलेक्टर से की. उन्होंने आरोप लगाया है कि टीआई अनूप यादव नशे में थे, उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी भी नहीं थी.

पुलिस ने पीड़ित की उम्र 17 साल दर्ज की है जबकि वो 13 साल की है. बाल कल्याण समिति की सदस्य अफसर जहां ने बताया कि पीड़ित लड़की को पट्टों, लात घूसों से मारा गया है.

टीआई के दुर्व्यवहार और पीड़ित नाबालिग से मारपीट की शिकायत पर एसपी सचिन शर्मा ने सफ़ाई देते हुए कहा था कि पीड़िता को ना तो हवालात में रखा गया है और ना ही उसके साथ कोई मारपीट हुआ है.

एसपी ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों के आरोपों को भी गलत बताया. हालांकि बाद में मीडिया में मामला आया तो तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया.

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