उत्तराखंड विधानसभा में हुईं भर्ती को लेकर सनसनीखेज़ खुलासे हुए हैं. विधानसभा में हुई भर्ती को लेकर एक लिस्ट वायरल है, जिससे साफ़ है कि भर्ती में जमकर भाई-भतीजावाद हुआ है.

जो लिस्ट है उसमें साफ़ है कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के ओएसडी और पीआरओ से लेकर मंत्रियों के पीआरओ और रिश्तेदारों तक को नौकरियां दी गई हैं.

विधानसभा में हुए भर्ती घोटाला को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है. राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की इस भर्ती को उठाया है.

उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्ती को लेकर जो खुलासा हुआ है वो पूरी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है. विपक्ष के तीखे तेवर के चलते सरकार भी बैकफुट पर है.

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के ओएसडी और पीआरओ के रिश्तेदार के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशक के पीआरओ, मंत्री सतपाल महाराज, रेखा आर्य और प्रेमचंद अगर्वाल समेत विभिन्न मंत्रियों के रिश्तेदारों और पीआरओ की नियुक्ति की गई है.

साल 2021 में उत्तराखंड विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति की गई. हैरानी की बात ये है कि इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञप्ती भी जारी नहीं की गई.

इस बात को खुद मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कुबूल किया है. मंत्री प्रेमचंद ने इस बात को भी स्वीकारा कि भर्ती में मंत्रियों और रसूखदार लोगों के रिश्तेदारों को नौकरियां दी गईं.

हालांकि मंत्री ने दावा किया कि जिन लोगों की नियुक्ति की गई वो सभी काबिल हैं. विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल ने ये नियुक्तियां की जिन्हें वे गलत नहीं मान रहे हैं.

उत्तराखंड कांग्रेस ने इन नियुक्तियों के मामले में राज्यपाल जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की है, और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. जबकि इस मामले में बीजेपी ने अपने आप को अलग कर लिया है.

उसका कहना है कि विधानसभा में हुईं भर्तियों से उसका कोई लेना देना नहीं है. पार्टी का कहना है कि विधानसभा में नियुक्तियों करने या किसी को हटाने का अधिकार विधानसभा स्पीकर को ही है.

वहीं इस मामले में पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा- क्या ED छापे मारेगी? CBI जाएगी जाँच करने ?

बीजेपी के राज में हुए घोटाले के असर को कम करने के लिए इसे कांग्रेस के राज से चला आ रहा घोटाला बता कर सामान्य किया जा रहा है। बीजेपी सत्ता में इसी वादे के साथ आई कि कांग्रेस के राज में जो घोटाला हो रहा है, उसे पकड़ेंगे न कि वही करते रहेंगे।

समाज बंट गया है। जो बीजेपी के समर्थक हैं वो कभी नहीं पूछेंगे कि राष्ट्रवाद का क्या यही असर हुआ है कि बीजेपी और संघ के लोग जुगाड़ से अपनों की नौकरी दिला रहे हैं। असली परिवारवादी का खेल तो यहाँ हैं।

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