मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट सोमवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश कर दिया।

बजट पेश किए जाने के बाद इसपर प्रतिक्रियाओं का दौर सुरु हो गया है। कांग्रेस ने इस बजट को अमीरों के लिए सौगात तो ग़रीबों के लिए निराशाजनक बताया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो बजट पर टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि इस बजट के ज़रिए मोदी सरकार देश की संपत्तियों को अपने पूंजीपति मित्रों में बांटने जा रही है।

दरअसल, इस बजट में निजीकरण पर काफी ज़ोर दिया गया है। बजट में कई सरकारी कंपनियों और संपत्तियों को बेचे जाने की घोषणा की गई है।

सरकार के इसी कदम पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “गरीबों के हाथों में नगदी भूल ही जाइए, मोदी सरकार ने देश की संपत्ति भी पूंजीपतियों के हाथ में सौंपन की योजना बनाई है”।

 

राहुल गांधी का हमेशा से ज़ोर इस बात पर रहा है कि गरीबों के हाथों में नगदी होनी होनी चाहिए। उनका मानना है कि अगर गरीबों के हाथों में नगदी रहेगी तो वो खर्च कर पाएंगे, जिससे इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी।

लेकिन सरकार ने इस बार बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की है जिससे ग़रीबों के हाथों में सीधे नगदी ट्रांसफर हो सके।

बता दें कि सरकार ने बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी को बेचने का फैसला किया है। सरकार को अम्मीद है कि इसके ज़रिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। जिसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं में किया जाएगा।

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