मोदी सरकार द्वारा साल 2015 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान शुरू किया गया था। जिसे देश के सभी राज्यों में बड़े स्तर पर चुनावी मुद्दा बनाकर भी पेश किया गया।

महिला सशक्तिकरण के नाम पर भारतीय जनता पार्टी ने देश की महिलाओं की शिक्षा पर कितना पैसा खर्च किया है।

इसे लेकर महिला सशक्तिकरण समिति की एक रिपोर्ट सामने आई है।

जिसमें यह कहा गया है कि सरकार द्वारा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान लगभग 80 फीसदी धनराशि विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल किया गया है। ना कि महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके शिक्षा जैसे अहम मुद्दों पर।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 25 फीसदी धनराशि राज्यों द्वारा खर्च की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस अभियान से जुड़े संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए विज्ञापन और मीडिया अभियान भले ही जरूरी है।

लेकिन इस योजना के अन्य उद्देश्यों को संतुलित करना भी उतना ही ज्यादा जरूरी है।

इसके साथ ही पैनल द्वारा रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि भारत सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मामलों के लिए नियोजित व्यय आंवटन पर भी ध्यान देना चाहिए।

इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “प्रचारजीवी मोदी सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की मुँह बोलती सच्चाई।

बजट का 79 फ़ीसदी जब केवल विज्ञापनों पर ही खर्च कर डाला तो बेटियों की सुरक्षा और पढ़ाई के लिए बचा ही क्या? यही नया भारत है, मित्रों !

 

गौरतलब है कि भाजपा द्वारा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत किए जाने का मकसद लड़कियों के साथ सामाजिक तौर पर होने वाले भेदभाव को खत्म करना बताया गया था।

जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर समाज में लोगों की मानसिकता को बदला जा सके।

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