भारत में अचानक ही ईसाई धर्म के प्रार्थना स्थलों और स्कूलों पर हमले की श्रृंखला चल पड़ी है। सबसे ज्यादा हमले खबरें दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा से आ रही हैं। ताजा घटना हरियाणा के रोहतक की है।
प्रत्येक गुरुवार को होनी वाली प्रार्थना के लिए इंदिरा कॉलोनी स्थित चर्च में लोग एकत्रित हुए थे। तभी दक्षिणपंथी समूह विश्व हिंदू परिषद ने चर्च के बाहर आकर हंगामा शुरू कर दिया। हमेशा की तरह विश्व हिंदू परिषद के हुड़दंगियों को संदेह था कि चर्च में जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है और लोगों को मुफ्त में चीजें बाटकर प्रलोभन दिया जा रहा।
हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने मुश्किल से स्थिति को संभाला। कई घंटे तक पुलिस और दक्षिणपंथी हुड़दंगियों के बीच में तनाव बना रहा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों का कहना है कि इस चर्च में जबरदस्ती हिंदू समुदाय के लोगों को बहला-फुसलाकर और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाया जाता है। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि यहां खाने में जबरदस्ती मांस का प्रयोग करवाया जाता है ताकि हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट हो सके।
ये हालत तब है जबकि भारत की 70 फ़ीसदी आबादी मांसाहारी है है और भारत की कुल आबादी का 80 फ़ीसदी हिंदू कहलाती है और उनमें से ज़्यादातर मांस खाते हैं।
प्राचीन काल की बात करें तो भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माताओं में से एक डॉ. अंबेडकर ने अपने लेख के माध्यम से ये साबित किया है कि प्राचीन काल में हिन्दू गोमांस खाते थे।
जहां तक प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने की बात है तो विश्व हिंदू परिषद का ये बयान सीधे तौर पर हिन्दुओं का अपमान है। क्या विश्व हिन्दू परिषद हिन्दुओं को लालची कहना चाहता है जो थोड़े प्रलोभन में आकर अपना धर्म छोड़ दे रहे हैं?
और अगर विश्व हिंदू परिषद ये मान चुका है कि हिन्दू धर्म के लोग लोभी और लालची हो चुके हैं तो VHP भी प्रलोभन देकर लोगों को धर्म परिवर्तन से रोक क्यों नहीं ले रहा?