भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के साथ साथ गुजरात में भी कोरोना के कारण हालात काफी भयावह हो चुके हैं। गुजरात में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सूरत और अहमदाबाद में आ रहे हैं।

अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं ना होने की वजह से लोगों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि अहमदाबाद में मरीजों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस की कमी आ गई है।

सूरत में कोरोना की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते 24 घंटों में वहां पर इतने बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो गई है कि शवदाह गृह में शवों को जलाते जलाते चिमनी पिघल गई है।

मोदी सरकार द्वारा देश भर में गुजरात मॉडल का ढोल पीटा जाता है। लेकिन राज्य में अगर ढंग की स्वास्थ्य सुविधाएं होती तो आज कोरोना से मरने वाले लोगों को बचाया जा सकता था।

देश में चल रहे चुनावों में बढ़-चढ़कर रैलियां की जा रही हैं। उत्तराखंड में महाकुंभ में शाही स्नान में लाखों लोगों को एकत्रित होने की इजाजत दी गई है।

सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा गुजरात मॉडल को भाजपा द्वारा फर्जी विकास मॉडल करार दिया जा रहा है। जिसकी असली पोल खुल चुकी है।

सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री को इस वक्त देश की स्वास्थ्य व्यवस्था देखने की जरूरत है और वह पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार में ‘दीदी ओ दीदी’ कर रहे है।

गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी कोरोना से स्थिति काफी खराब हो गई है। अपने राज्य को संभालने की जगह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के कारण विपक्षी दलों के निशाने पर बने हुई है।

उत्तराखंड में चल रहे महाकुंभ को सोशल मीडिया यूज़र्स कोरोना कुंभ बता रहे हैं। इस महाकुंभ पर रोक न लगाने के कारण पीएम मोदी की आलोचना हो रही है।

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