नागरिकता कानून का विरोध करने वाले नेताओं को निशाना बनाने का सिलसिला लगातार जारी है। अब भारतीय आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में सीएए का विरोध करने वाले नेताओं के बारे में कहा कि,“भीड़ को दंगे के लिए भड़काना कोई लीडरशिप नहीं है”।
उन्होंने कहा- नेता वो होते हैं जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे हिंसा बढ़ रही है। ये लीडरशिप नहीं है।
सेना प्रमुख के इस बयान पर एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जवाब देते हुए कहा कि “लीडरशिप का मतलब ये भी होता है कि लोग अपनी मर्यादा को न तोड़े, यह नागरिक वर्चस्व के विचार को समझने और उसकी अखंडता को इकट्ठा करने के लिए है जिसका आप नेतृत्व करते है”।
वही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने कहा कि ‘मैं जनरल साहब की बात से सहमत हूँ लेकिन नेता वह नहीं जो अपने नागरिको को सांप्रदायिक नरसंहार में लिप्त होने दे।’
"Leaders Not Those Who Lead Masses In Arson": Army Chief On Citizenship Protests
I agree General Saheb but also Leaders are not those who allow their followers to indulge in Genocide of Communal Violence. Do you agree with me General Saheb? https://t.co/rOo0vFGMIf— digvijaya singh (@digvijaya_28) December 26, 2019
जनरल रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरे देश में नागरिकता कानून का विरोध करने वालों को गोलियां मारी जा रहा है और सेना प्रमुख नेताओ पर दंगे भड़काने का आरोप लगा रहे है जो साफ़ ज़ाहिर करता है की जनरल रावत का ये बयान सरकार के दबाव में आया हैं।