फर्जी डिग्री के आरोपों के चलते मानव संसाधन मंत्रालय छोड़कर कपड़ा मंत्री बनी स्मृति ईरानी ने आज अमेठी से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। जिसमें उनकी डिग्री पर उठते सवालों पर अब अल्पविराम तो लग गया है मगर उनके ग्रेजुएट ना होने को लेकर नए सवाल पर पनपने लगे हैं। राहुल गांधी को अमेठी में सीधी टक्कर देने उतरी ईरानी ने आज नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।

इस पत्र में उनसे जुड़े सभी मामले पब्लिक हो चुके है। उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई के बारें में भी बताया है। ईरानी के हलफनामें के अनुसार, उन्होंने अपना 10वी साल 1991 में पास किया और 12वी साल 1993 में पूरी हुई। अब बात उनकी डिग्री की तो उन्होंने साफ़ कर दिया है की वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ओपन लर्निंग पढ़ाई तो कर रही थी मगर वो अधूरा रह गया।

अब उनके ग्रेजुएट ना होने से शायद ही किसी को फर्क पड़ता हो क्योंकि बिना पढ़े लिखे लोगों ने भी देश चलाया है। मगर सवाल ये उठने लगे हैं कि आखिर स्मृति ईरानी ने अपनी डिग्री को लेकर इससे पहले झूठ क्यों बोला था?

वही इससे पहले स्मृति ईरानी के केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही उनकी डिग्री का विवाद शुरू हो गया था। ईरानी पर चुनाव के समय दाखिल शपथपत्र में अपनी डिग्री की ग़लत जानकारी देने का आरोप पहले ही लग चुका है।

2014 में खुद को येल यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट बताने वाली ईरानी ने 2019 में माना वो ग्रेजुएट नहीं हैं

जिसमें उन्होंने एक चुनाव शपथपत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से साल 1996 में कला स्नातक होने की बात कही। वहीं दूसरे शपथ पत्र में उन्होंने 1994 में दिल्ली के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बीकॉम पार्ट वन की परीक्षा पास होने जानकारी दी।

इस तरह स्मृति ईरानी पर ये आरोप लगाया गया था कि तीन चुनावी हलफनामों में उन्होंने अपनी शिक्षा को लेकर अलग-अलग जानकारियां दी हैं। इस बार उन्होंने चौथी बार में आखिरकार खुलासा कर दिया है की डिग्री कभी थी ही नहीं उन्होंने सिर्फ 12वी पास की है।

अब ईरानी के इस खुलासे के बाद लोगों की प्रतिक्रिया दी है तो स्मृति ईरानी मैडम ने सोचा की ग्रेजुएशन में नाम लिखाने से वो ग्रैजूएट मानी जाएँगी? अब चोरी पकड़ी गयी तो इंटर तक पढ़ी हैं मान लिया। सोचिए एक इंटर पास को अपने पूरे भारत की यूनिवर्सिटी और हाइअर एजुकेशन की बागडोर दे दी वाह रे नरेंद्र मोदी रे।

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