विश्व के जाने माने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भारत में कोविड की दूसरी लहर के सीधे सीधे केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया है।

अमर्त्य सेन ने कहा कि भारत की मोदी सरकार ने कोविड से लड़ाई लड़ने की बजाय श्रेय लूटने में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई, इस वजह से भारत में कोविड की दूसरी लहर संकट के रूप में सामने आई।

अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को नोबल पुरस्कार भी मिल चुका है।

प्रोफेसर सेन ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान स्किजोफ्रेनिया की स्थिति पैदा हो गई। स्किजोफ्रेनिया से आशय है कि एक ऐसा गम्भीर मनोरोग जिससे पीड़ित व्यक्ति वास्तविक और काल्पनिक संसार में भेद नहीं कर पाता.

स्किजोफ्रेनिया पीड़ित अक्सर कल्पनाओं के सागर में गोते लगाते रहते हैं और कल्पनाओं को ही हक़ीक़त मानते हैं।

प्रो अमर्त्य सेन ने कहा कि कोविड के दौरान भारत सरकार इसी स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गई। वो काम करने पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय काम करने की वाहवाही लूटने पर अपना ध्यान लगा दिया।

कोविड संकट के दौरान भारत सरकार स्किजोफ्रेनिया की वजह से भ्रम में रही और संकट बढ़ता गया।

राष्ट्र सेवा दल नामक एक संगठन के कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत अपने बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं औषधि निर्माण के कौशल की वजह से कोविड से निपटने में अत्यधिक बेहतर हालत में था लेकिन सरकार भ्रम का शिकार थी।

इस वजह से उसने बेहद घटिया तरीके से निपटने का काम किया, वह अपनी क्षमता के साथ न्याय नहीं कर सकी।

प्रो सेन ने कहा कि कोविड से निपटने के लिए सरकार को जिस क्षमता का परिचय देना चाहिए था, वह उसने नहीं दिया।

सरकार श्रेय लेने एवं वाहवाही लूटने की ज़्यादा इच्छुक नज़र आई. सरकार को यह सुनिश्चित करना था कि भारत में कोविड की दूसरी लहर महामारी का रुप न ले, लेकिन ऐसा हो न सका।

प्रो अमर्त्य सेन की इस टिप्पणी से सरकार विरोधियों को एक बार फिर से सरकार को घेरने का मौका मिल गया है।

विपक्ष शुरू से ही मोदी सरकार पर लापरवाही बरतने और बंगाल चुनाव के चक्कर से कोविड महामारी फैलाने का आरोप लगाता आ रहा है, सेन के बयान से इन आरोपों को बल मिल गया है।

मालूम हो कि अमर्त्य सेन की यह टिप्पणी ऐसे मौके पर सामने आई है जब कई विशेषज्ञों ने सरकार को कोविड की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

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