तेज बहादुर सिंह
लॉकडॉउन के बीच लोगों को कैसे आई कश्मीर की याद!
कोरोनावायरस के कारण अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडॉउन कर दिया गया है. देश को दोबारा संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडॉउन की घोषणा कर दी. प्रधानमंत्री ने देश से कहा कि आने वाले 21 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो कोरोना वायरस की संक्रमण साईकल को तोड़ने के लिए कम से कम 21 दिनों का समय बहुत है.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मैं प्रधानमंत्री के नाते नहीं, आपके परिवार के सदस्य के तौर पर बात कह रहा हूं. 21 दिनों के लिए भूल जाइए कि बाहर निकलना क्या होता है. घर में रहिए और एक ही काम कीजिए- अपने घर में ही रहें.
इस बीच कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जो अभी तक पब्लिक सेक्योरिटी एक्ट (पीएसए) के तहत नजर बंद थे, उन्हें मंगलावर को लगभग आठ महीनों के बाद पीएसए से मुक्त कर दिया गया. पूरे 232 दिनों तक नजरबंद रहने वाले उमर अब्दुल्ला ने इसके बाद कई ट्वीट किए. इनमें से एक ट्वीट लॉकडॉउन और क्वारंटाइन को लेकर भी किया.
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हल्के अंदाज में, अगर किसी को क्वारंटाइन या लॉकडॉउन में रहने का सुझाव चाहिए तो इससे निपटने का मेरे पास कई महीनों का अनुभव है, शायद इस पर एक ब्लॉग भी लिखूं.”
On a lighter note if anyone wants tips on surviving quarantine or a lock down I have months of experience at my disposal, perhaps a blog is in order.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 24, 2020
इसी तरह कश्मीर और देश के लॉकडाउन के बीच तुलना करते हुए युवा नेत्री शहला रशीद लिखती हैं- कश्मीर ने महीनों तक सहा है अब 3 हफ्ते तक आप लोग भी सहिए।
Kashmir can do it for months. You can do it for 3 weeks. #StayHomeStaySafe
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) March 24, 2020
एक अन्य ट्वीट में शहला अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए लिखती हैं- और हमारे पास तो कोई संचार साधन भी नहीं था।
And we did it without ANY communication services!
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) March 24, 2020
दरअसल बीते साल 5 अगस्त, 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया. इसके साथ ही कश्मीर को दो हिस्सों में बांट कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया गया. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही वहां पूरी तरह से लॉकडॉउन घोषित कर दिया गया था. मोबाईल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी. इसके अलावा लैंडलाइन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया था. ऐसा पहली बार था कि कश्मीर में लैंडलाइन सेवाएं भी बंद कर दी गई हो. इस बीच कश्मीर से खबरें आती रही कि लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हैं. कई लोग देश के अन्य राज्यों से कश्मीरी होने के बावजूद कश्मीर नहीं जा पा रहे थे. उनके घर वाले किन परिस्थितियों में हैं, इसका उन्हें कोई अंदाजा तक नहीं था.
इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी लोगों और छात्र-छात्राओं के साथ बहसलूकी की खबरें भी आती रहीं. वहीं कश्मीर में मौजूद लोगों की जिंदगी कमरों में कैद होकर रह गई थी. लोग क्या खा रहे थे? कैसे रह रहे थे? दैनिक जरूरत की चीजें उनके पास पहुंच भी रही थी कि नहीं इसकी कोई ख़बर तक नहीं थी. क्योंकि इस बीच मीडिया को भी काफी पाबंद कर दिया गया था.
इस दौरान कश्मीर के कई नेताओं को भी पीएसए के तहत नजर बंद कर दिया गया था. उमर अब्दुल्ला उन्हीं नेताओं में से एक थे. उमर अब्दुल्ला के ट्वीट के साथ ही सोशल मीडिया पर कश्मीर में हुए लॉकडॉउन की चर्चा तेज हो गई है. जब कोरोना वायरस के खतरे को बढ़ता देख पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडॉउन घोषित कर दिया गया है.
हालांकि दोनों ही लॉकडॉउन की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न है. लेकिन लोग लॉकडॉउन के दौरान रहने को लेकर चर्चा कर रहे हैं. कई लोग कश्मीर के लॉकडॉउन को याद करते हुए बारे में लिख रहे हैं कि कश्मीर में लोगों ने इतने दिन कैसे काटे ? वो भी बिना फोन और इंटरनेट के.