उत्तर प्रदेश और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दोनों ही राज्यों के किसान इस वक्त दिल्ली की सीमाओं पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

माना जा रहा है कि बीते साल मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में किया जा रहा किसान आंदोलन विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी किसान नेताओं ने भाजपा के खिलाफ खुलकर प्रचार किया था।

अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भारत में अघोषित आपातकाल होने का हवाला देते हुए देश की जनता को जागने की अपील की है।

बीते 7 महीनों से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग लिए हुए किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।

अब किसानों ने ऐलान कर दिया है कि मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर हर रोज 200 किसानों के समूह द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा।

इस संदर्भ में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की है। जिसमें यह कहा गया है कि मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को एक चेतावनी पत्र भी जारी किया जाएगा।

विपक्षी नेताओं को सदन के अंदर इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा जाएगा। वही किसान संसद के बाहर बैठकर इसका विरोध करेंगे।

जब तक मोदी सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करती। तब तक मानसून सत्र नहीं चलने दिया जाएगा।

गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने वाला है। किसानों द्वारा कृषि कानूनों के मुद्दे के साथ-साथ सरकार को देश में बढ़ रहे पेट्रोल डीजल और एलपीजी सिलेंडर के दामों पर भी घेरा जाएगा।

किसान नेता राकेश टिकैत कई बार ये बात कह चुके हैं कि जब तक मोदी सरकार द्वारा किसानों की मांगें नहीं मानी जाती। तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा। भले ही इसे साल 2024 तक क्यों न चलाना पड़े।

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