इसी साल उत्तराखंड में आयोजित किए गए महाकुंभ मेले के दौरान हजारों की संख्या में लोग हरिद्वार में जुटे थे। जिसके बाद कई राज्यों में कोरोना बम फूटा। भारी तादाद में लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।

इसी बीच खबर सामने आई कि हरिद्वार महाकुंभ में बड़ी तादाद में कोरोना की फर्जी टेस्टिंग हुई है। जिसके लिए उत्तराखंड सरकार की विपक्षी दलों द्वारा जमकर आलोचना की जा रही है।

इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के ही 2 बड़े नेता कोरोना की फर्जी टेस्टिंग के मामले में आमने-सामने आ गए हैं।

खबर के मुताबिक, इस मुद्दे पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है।

उन्होंने कहा है कि राज्य में कोरोना की फर्जी टेस्टिंग के मामले की जांच हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज से करवाई जानी चाहिए। ताकि उन लोगों के बारे में पता चल पाए, जो इसमें शामिल थे। आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि महाकुंभ में जो भी हुआ है, वो लापरवाही का मामला नहीं है।

यह एक गंभीर अपराध है। ये तय है कि इसे जानबूझकर किया गया है। इसलिए इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई होनी बहुत ही जरूरी है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान के बाद उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत ने अपना बचाव किया है।

अब मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत का बयान सामने आया है कि कोरोना मामले में यह फर्जी टेस्टिंग का मामला उस वक्त का है। जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद नहीं संभाला था।

मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत का कहना है कि इस फर्जीवाड़े के मामले में जांच बिठा दी गई है। मैं खुद चाहता हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की ही जाएगी।

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