देश में कोरोना एक बार फिर से अपना रौद्र रुप दिखाता जा रहा है। एक बार फिर से कोरोना ने अपनी वापसी की है।

ऐसे में सरकार ने कई जगहां पर परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला ले लिया है लेकिन देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं।

नेताओं के प्रचार जारी हैं। रैलियां हो रही हैं, रोड शो हो रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्री और छुटभैये नेता तक अपना चुनावी प्रचार कार्यक्रम चला रहे हैं।

वहीं हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन भी हो रहा है। वहां से कोरोना विस्फोट की खबरें भी आ रही हैं। बड़ी संख्या में धर्मगुरुओं के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।

महाकुंभ की स्थिति तो इस कदर विस्फोटक हो चुकी है कि उत्तराखंड सरकार और प्रशासन ने इसमें कोरोना गाइडलाइंस का पालन करवाने से हाथ खींच लिए हैं।

बिना मास्क के ही लोग मेले में आ जा रहे हैं। कोरोना नियमों का पालन यहां पर मुश्किल ही नहीं नामुमकिन नजर आ रहा है।

महाकुंभ में स्नान के लिए भारी संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच रहे हैं। मालूम हो कि महाकुंभ के अब तक 5 दिन हुए हैं और 1899 लोग इसमें कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अकेले सोमवार के दिन हुए शाही स्नान में ही कोरोना के 563 नए मरीज मिले हैं।

इस बात का भय जताया जा रहा है कि महाकुंभ में स्नान के उपरांत जो लोग कोरोना लेकर अपने अपने गांव, घर लौटेंगे, वहां क्या हाल होगा ! सोच कर ही रुह कांप उठती है।

इस पर पूर्व केंद्रीय सचिव अनिल स्वरुप ने एक ट्वीट किया है और कहा है कि “यदि बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित और रद्द किया जा सकता है तो चुनावी सभाओं और धार्मिक कार्यक्रमों को क्यों नहीं रोका जा सकता है? अनिल स्वरुप के इस ट्वीट को हर ओर सेे समर्थन मिला है।

डार्क नाइट नामक एक यूजर ने पूर्व केंद्रीय सचिव के समर्थन में लिखा है कि क्या आप इन नेताओं के बारे में नहीं जानते !

ये नरभक्षी हैं. अगर ये बंगाल चुनाव जीत गए तो कोरोना को लेकर लीपापोती करेंगे और हार गए तो सारा दोष राज्य सरकार पर मढ़ देंगे.

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