वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया है, जिसकी सूचना उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल और ट्वीटर के माध्यम से देश की जनता को दी। जिसके बाद देश भर से लोगों की प्रतिक्रिया आने लगी।

अपने यूट्यूब चैनल पर रवीश ने लगभग 24 मिनट जनता से संवाद किया। अपने संवाद में उन्होंने अपने एनडीटीवी के सफर को जनता के साथ साझा किया, परन्तु अपने पूरे संवाद में उन्होंने आज भी जनता को बेहतर नागरिक और लोकतंत्र को बचाए रखने की बात ज्यादा की, शायद यही रवीश को और पत्रकारों से अलग बनाता है।

अपने संवाद में उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि “अब जनता को इस देश में पत्रकारिता और लोकतंत्र को बचाना है”

बहुत मुश्किल है आज के दौर में जब टीवी पत्रकारिता में ज्यादातर पत्रकार रोज़ हिन्दू-मुस्लिम का स्वर अलापते हैं उस बीच जनता के साथ खड़े रहना और उनकी बात करना इसलिए आज एक पत्रकार का इस्तीफा देश भर में खबर बन गई।

अडानी समूह के एनडीटीवी को खरीदने पर पूर्व आईपीएस विजय शंकर सिंह ने तंज कसते हुए लिखा-

सर, अब तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लीजिए। अब तो जो बचा खुचा था, वह भी दोस्त ने आपके लिए खरीद लिया। अब क्या डरना।

अब तो अंजुमन में सब अपने हैं। वे जो किरकिरी थे, दीद की, जमीर, अपना बचा ले गए”

देश की सत्ता पर काबिज़ मोदी सरकार से रवीश कुमार शुरू से सवाल पूछते रहे हैं, सत्ता के समर्थक पत्रकारों ने यहाँ तक कहा कि रवीश मोदी से नफरत करते हैं लेकिन रवीश शुरू से कहते रहे कि मैं मोदी से नफरत नहीं करता बल्कि देश में बढ़ रही नफरत पर देश के प्रधानमंत्री से सवाल कर रहा हूँ।

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