नमस्कार मैं रवीश कुमार का ये इंट्रो अब आपको NDTV पर नहीं सुनाई देगा, क्योंकि रवीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है।

सड़कों पर खड़े होकर खबर पढ़ दूंगा कहने वाले रवीश कुमार अब TV स्टूडियो में नहीं दिखाई देंगे, क्योंकि उन्होंने चैनल से इस्तीफा दे दिया है।

सीट के पास बहुत पैसा है मगर मैं नहीं हूं कहने वाले रवीश कुमार अब नए रूप में दिखाई देंगे, क्योंकि वैकल्पिक रास्ता तैयार कर लिया है।

खैर खबर ये है कि प्रणव रॉय और राधिका रॉय के बाद अब रवीश कुमार का भी इस्तीफा आ गया है। इसे ऐसे समझें कि जिस शख्स की वजह से एनडीटीवी को अलग न्यूज़ चैनल माना जाता था, अब उसी ने गुड बाय कह दिया है।

इन हालातों में रवीश कुमार का एनडीटीवी से इस्तीफा देना तय माना जा रहा था मगर आधिकारिक घोषणा का इंतजार हो रहा था। जो कुछ तय था वही हुआ, मगर सोशल मीडिया पर हाहाकार मचा हुआ था, आधिकारिक घोषणा का ही इंतेज़ार हो रहा था।

अब घोषणा हो गई है तो आइए देखते हैं सोशल मीडिया पर लोग क्या लिख रहे हैं; यहां पर कैसा ट्रेंड चल रहा है।

(आप पढ़ रहे हैं वीडियो प्रोग्राम का ट्रांसक्रिप्टेड लेख, आगे विस्तार से पढ़िए 👇🏽)

गौतम अडानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति ही नहीं बने बल्कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल हो चुके हैं। समय-समय पर उनकी संपत्ति चौथे नंबर से लेकर दूसरे नंबर तक केलकुलेट होती रहती है।

क्योंकि अंबानी अपनी अमीरी के शिखर पर जाते ही देश के ज्यादातर मीडिया चैनलों को खरीद चुके थे, तो आदानी भी इसमें अपना हाथ आजमाने लगे।

उन्होंने 10 मिनट में काम कर रहे संजय पुगलिया को अपना प्यादा बनाया और एक डिजिटल पोर्टल खरीदने से इसकी शुरुआत की।

देश का सबसे अमीर शख्स एक सीमित पहुंच का डिजिटल पोर्टल खरीद कर कैसे संतुष्ट रह सकता था इसलिए अटकलें लगाई जा रही थी कि अब टीवी चैनलों में किसपर हाथ आजमाएंगे।

क्योंकि अडानी समूह ने उस VPCL को अपना लिया था जो कभी अंबानी का हुआ करता था इस तरह से, एनडीटीवी पर सैकड़ों करोड़ का कर्ज अपने आप बन गया।

इसलिए बिना राधिका रॉय और प्रणव रॉय से कोई डायरेक्ट डील किए 29% शेयर उनके हिस्से आ गया।

इसके साथ ही 26% इक्विटी को मार्केट में उतारने के अधिकार के साथ-साथ, छोटे छोटे शेयरधारकों का समर्थन पाने के साथ ही, अदानी समूह का मानो एनडीटीवी पर कब्जा हो गया। क्योंकि VPCL विवाद का निपटारा सेबी कर रहा था और आखिरकार फैसला अडानी के पक्ष में आया

29 नवंबर को और राधिका रॉय और प्रणव रॉय ने इस्तीफा दे दिया और अब रवीश कुमार के इस्तीफे की ख़बर आई है।

भावुक होकर लोग इसे पत्रकारिता के एक युग का अंत बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसी से जुड़ी खबरें तस्वीरें और वीडियो छाई हैं।

प्रणव रॉय की इस्तीफे के बाद ही वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने लिखा था “एक पत्रकार से निपटने के लिए पूरा चैनल खरीद डाला। जब संस्थाएं ही ढह रही हों। ढहाई जा रही हों तो एक चैनल के ढहने ढहाने पर क्या रोना।”

इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बालियान देखते हैं- “धन्यवाद रवीश जी, NDTV से आपका इस्तीफा एक अध्याय का अंत है। देश का इतिहास आपको याद करेगा की एक तानाशाह के दौर में आप किस तरह सीना तान कर खड़े थे। उम्मीद करता हूं की फिर से आपको कही इसी आवाज में जरूर सुनेंगे। करोड़ो लोगो की उम्मीद हैं आप।”

इसी ट्रेंड पर प्रतिक्रिया देते हुए एक ट्विटर यूजर अशफाक लिखते हैं “एनडीटीवी अब नरेंद्र दामोदरदास टीवी हो ही गया, रविश जी को सलाम है कि झुके नहीं, बाकी मिलते रहेंगे रवीश कुमार ऑफिशियल यूट्यूब पर।”

वैसे इस मौके पर रवीश कुमार के कुछ पुराने वीडियो भी वायरल हो रहे हैं, जब वो कुछ दिन पहले अपने विदेश दौरे के समय बोलते सुनाई दे रहे हैं कि सेठ के पास बहुत पैसा है। मगर सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया उस वीडियो पर आ रही है जिसे उन्होंने 5 साल पहले आज तक के एक कार्यक्रम में बोला था।

हालांकि सबको पता है भावुक कर देने वाली पंक्तियों की बात अलग होती है, सड़क पर खबर पढ़ने में तमाम तकनीकी और व्यवहारिक दिक्कतें आती हैं।

फिलहाल उन्होंने अपना एक यूट्यूब चैनल बनाया है संभव है कि उसी पर अपनी राय रखते हुए या फिर पत्रकारिता का काम करते हुए दिखाई दें।

मगर असल सवाल अभी भी बना हुआ है कि इस देश में कारपोरेट के चंगुल से अलग कोई वैकल्पिक मीडिया क्यों नहीं बन सकता।

Youtuber बन जाना ब्लॉगर बन जाना और करोड़ों में पॉपुलर हो जाना अलग बात है, मगर कोई पब्लिक फंडेड मीडिया क्यों नहीं बन सकता।

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