सेक्युलर शब्द को गाली बना देने वाले टीवी के एंकर पूरे देश को कम्युनल बना देने वाले टीवी के एंकर चिंगारी से आग भड़काकर, उसमें घी डाल देने वाले टीवी के एंकर आज सेक्युलर होने का राग अलाप रहे हैं। देश को धर्म निरपेक्षता का पाठ सिखा रहे हैं।

इंडिया सेक्युलर है सेक्युलर है, कहकर सेक्युलर फैब्रिक वाला प्रवचन सुना रहे हैं। सच में यकीन नहीं होता, कम्युनल डिबेट के चैंपियन बन चुके एंकर, सेक्युलर होने की सीख दे रहे हैं।

आखिर ऐसा क्या हो गया कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में माहिर मीडिया के लोग अपना ट्रैक बदल दे रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल ने ऐसा क्या कर दिया कि मोदी मोह में साम्प्रदायिक हुए एंकर, आज धर्म निरपेक्ष बन रहे हैं।

मेरे मालिक के मित्र से बड़ा स्टंटबाज आ गया राजनीति में, क्या ये सोचकर सारे एंकर डर रहे हैं

जो भी सच हो वो एंकर जानें-अंबानी जानें, केजरीवाल मोदी और अडानी जानें मगर हम बदली हुई फिज़ां जो देख रहे हैं, क्या उसे चौतरफा बदलाव की बयार मानें।

या फिर BJP के एजेंडे पर आ गया है विपक्ष, इसलिए विपक्षी दलों की सामूहिक हार मानें।

जिस अमन चोपड़ा को न्यूज ब्रॉडकास्टिंग डिजिटल स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने हाल ही में फटकार लगाई और कम्युनल बताते हुए डिबेट शो डिलीट करने के लिए कहा।

जिस अमन चोपड़ा की वजह से NBDSA ने न्यूज़ 18 पर 50,000 का जुर्माना लगाया। उसी अमन चोपड़ा के ये बदले हुए बोल सुनिए। सेकुलरिज्म के पक्ष में तरह-तरह की दलील सुनिए।

ये वही अमन चोपड़ा हैं जो हिंदुत्व को हिंदू वोट बताते हैं।
ये वही अमन चोपड़ा हैं जो दूसरों को देश का गद्दार बताता हैं। ये वही अमन चोपड़ा हैं जो महागठबंधन को हिंदुओं का विरोधी बताते हैं।

जी हां, ये वही अमन चोपड़ा हैं जो हर रोज “देश नहीं झुकने देंगे” कहकर देश को शर्म से झुकाते हैं। हर बहस को सांप्रदायिक बनाते हैं।

अब अचानक ही बोल बदल गए और ये सेकुलरिज्म का सही अर्थ बताने लगे। पता नहीं कहाँ ठोकर लग गई कि तेज़ रफ़्तार उल्टी गेयर में गाड़ी चलाने लगे।

यूटर्न के लिए फेमस हैं अरविंद केजरीवाल, उनके चक्कर में पड़कर ये अपनी गाड़ी घूमने लगे।

कल का केजरीवाल फिर से अपनी बात से पलट गए तो क्या होगा? इतनी मेहनत इतनी नफरत से कमाई गई पूंजी का क्या होगा? सेकुलरिज्म की सफाई में लगाई गई एनर्जी का क्या होगा?

अभी तक ‘सिक्युलरिज्म’ बोलकर जो लगाई गई है। कम्युनलिज्म की आग, उसपर रोटी सेंकने के बजाय अचानक बरफ जम गई तो क्या होगा?

दंगाइयों में भी तो है जबरदस्त कंपटीशन, बाकी सब आगे निकल गए तो इस सज्जन का क्या होगा?

सेक्युलरिज्म को हमेशा गलत बताने वाला मिल गया कोई एंकर, तो फिर इस मासूम अमन का क्या होगा?

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