घड़ी बनाने वाली कंपनी को पुल की मरम्मत का ठेका दिया गया, पुल टूट गया-100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

जिस कंपनी ने कभी कोई पुल नहीं बनाया उसको ना जाने किस लालच में ठेका दिया गया-हादसा हो गया-लोगों की असमय मौत हो गई।

चुनाव में भुनाने के लिए तय समय से 3 महीने पहले ही पुल को चालू कर दिया गया- लोगों की मौत हो गई अफसोस, कि कुछ वोटरों की भी मौत हो गई।

इन मौतों के गम में डूबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शासन प्रशासन के लोग, मातम सभा का भव्य आयोजन कर रहे हैं।PM कैमरे को पोज़ दे रहे हैं, कोई बीच में ना आए सीधा टोंक दे रहे हैं। उधर अधिकारी अस्पताल में व्यवस्था कर रहे हैं।

कल तक जिस अस्पताल का बुरा हाल था आज उसकी मरम्मत करवा रहे हैं, नए गद्दे बिछा रहे हैं, पूरा अस्पताल चमका रहे हैं।

घायल लोग देखकर हैरान है कि ये कौन सा रिवाज़ है जिसमें मातम के वक़्त लोग आयोजन करवा रहे हैं। साज-सज्जा के साथ रंगाई पुताई करवा रहे हैं।

हम आए अस्पताल में तो व्यवस्था का बुरा हाल था, अगला कितनी गंभीर दशा में आ रहा कि सब मिलकर व्यवस्था करवा रहे हैं। खैर अधिकारियों का फेवरेट काम है अपने आकाओं की चापलूसी करना, मगर उनसे भी आगे मीडिया वाले चले जा रहे हैं।

सरकार से कोई सवाल न कर सके इसलिए लोगों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, अलग अलग तरह का विज्ञान समझा रहे हैं।

बंगाल पुल हादसे में ममता की सरकार को भ्रष्ट बताने वाले एंकर गुजरात पुल हादसे में सरकार को बचा रहे हैं।

(मोरबी पुल हादसे पर बोलता हिंदुस्तान की संपादकीय टिप्पणी का ट्रांसक्रिप्शन लेख, पढ़ें विस्तार से)

मोरबी का केबल पुल हादसा बेहद दर्दनाक है, कहा जा रहा है इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ठीक है-रंगाई होनी चाहिए, पुताई होनी चाहिए, साज सजावट और फोटोशूट होना चाहिए।

राजनैतिक लाभ के लिए भले ही ले ली जाए सैकड़ों की जान, मगर जान चले जाने पर भी राजनीति नहीं होनी चाहिए।

वैसे उस स्तर की राजनीति तो विपक्ष का कोई नेता नहीं कर रहा है जैसी राजनीति 2016 के कोलकाता पुल हादसे के बाद प्रधानमंत्री ने की थी।

याद कीजिए उन्होंने हादसे पर कैसी राजनीति की थी, देखिए उन्होंने बेशर्मी की कितनी हद पार की थी। तब पुल हादसे को भ्रष्टाचार की मिसाल बताते हुए टीवी एंकरों ने सरकार पर सवाल उठाया था।

अब पुल हादसे को लोगों की गलती बताते हुए TV के एंकर कैसे कैसे कुतर्की ज्ञान दे रहे हैं! खबर है कि हादसे का जिम्मेदार बताकर कुछ गार्ड्स, कुछ चौकीदारों की गिरफ्तारी हुई है। जो खुद को बताते हैं देश का चौकीदार, उन्हें सवालों से बचाने की तैयारी हुई है।

फिर भी विपक्षी दलों के लोग तमाम सवाल कर रहे हैं और आम आदमी पार्टी के नेता तो चंदाखोरी का आरोप लगा रहे हैं।

पहले संजय सिंह ने लगाए कई गंभीर आरोप और उसके बाद से अरविंद केजरीवाल तमाम सवाल उठा रहे हैं।

विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब सरकार देगी या नहीं देगी, मगर ये तो तय है सरकार के दरबार में हाजिरी लगाने वाले दरबारी पत्रकार जोरदार जवाब देंगे। फिर भी मुसीबत में दिखेगी सरकार, तो वोट देने का आरोप लगाकर जनता को ही नाप देंगे।

लाशें निकली होंगी आम लोगों के घरों से, एंकर-रिपोर्टर तो सरकार की तरफदारी करके, वफादारी का लाभ लेंगे।

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