बिलकिस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी ब्राह्मण बताने वाले विधायक को भाजपा ने फिर से उम्मीदवार बना दिया तो लोग शोर मचा रहे हैं।

हत्यारों और बलात्कारियों का समर्थन करने वाले व्यक्ति को भाजपा ने फिर से गोधरा का उम्मीदवार बना दिया, कहकर
विरोध कर रहे हैं।

हालांकि लोगों में ज्यादातर विरोधी दल के हैं तो विरोध करेंगे ही, आखिर भाजपा ऐसा क्या नया कर दिया है?

जब बिलकिस के बलात्कारियों को रिहा करवाने वाले गृहमंत्री अपने पद पर बने हुए हैं। जब ऐसे में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने वाले प्रधानमंत्री अपने पद पर बने हुए हैं।

तब बलात्कारियों की आजादी का समर्थन मात्र कर देने वाले विधायक का टिकट बरकरार रहने में कोई हैरानी की बात नहीं है।

एक कौम से नफरत के नाम पर हद से ज्यादा गिरते जा रहे हैं एक पार्टी के नेता, ये निज़ी सोच का मामला है। मगर यही लोग आज देश चला रहे हैं, ये हैरानी की बात है।

( आप पढ़ रहे हैं वीडियो एपिसोड का ट्रांसक्रिप्शन लेख, आगे विस्तार से पढ़िए👇🏽)

ये गोधरा से भाजपा विधायक हैं CK राउल, जो पिछले ढाई-3 महीने से चर्चा में बने हुए हैं। मीडिया में इंटरव्यू दे रहे हैं बलात्कारियों को संस्कारी ब्राह्मण बता रहे हैं।

उत्तम चरित्र का हवाला देकर उनके जघन्य अपराध को कमतर दिखा कर रहे हैं। इनकी सरकार ने जो दी है रिहाई, उसका सभी को कारण बता रहे हैं।

ठीक है कि विधायक होकर जिम्मेदारी ले रहे हैं।मासूम हैं कि जो सोचते हैं वही बोल दे रहे हैं। जातिवादी हैं तो जाति श्रेष्ठता पर जोर दे रहे हैं।

मगर उनका क्या! जिनकी जिम्मेदारी है फिर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। ना मुख्यमंत्री बोल रहे हैं ना गृहमंत्री बोल रहे हैं। ना मुस्लिम बहनों के भैया प्रधानमंत्री बोल रहे हैं।

इनको बस बोलना बताना ये था कि करोड़ों मुस्लिम महिलाएं अगर बहन हैं तो बिलकिस बानो क्या हैं? बिलकिस बानो भी अगर बहन ही हैं तो फिर यह बेशर्मी भरा फैसला क्या है?

उधर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे थे इधर बलात्कारियों को आज़ाद कर दिया गया-क्या इसके लिए आपसे पूछा नहीं गया? क्या गुजरात के मुख्यमंत्री आपकी बात नहीं मानते हैं? या आपके गृहमंत्री अब आपको पहले जैसे नहीं मानते हैं!

खैर, कोई माने या ना माने ये आपकी पार्टी का निजी मामला है मगर इतने बड़े पद की क्या गरिमा है, क्या आप नहीं जानते हैं?साफ-साफ बताइए संविधान मानते हैं या फिर दूसरी दंड संहिता मनुस्मृति मानते हैं?

जब बलात्कारियों को रिहा किया गया तब मान लिया आप आजादी के अमृत महोत्सव में व्यस्त थे। मगर अब आपकी निगरानी में कैसे इसे विधायकी का टिकट दे दिया गया है!

जाति के आधार पर सज़ा की सिफारिश करने वाले को आगे बढ़ा रहे हैं आप, साबित होगा आप कौन सी दृष्टि रखते हैं।हाथ और जुबान पर भले ही रहे संविधान, मगर मन में तो मनुस्मृति मानते हैं।

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