सुप्रीम कोर्ट ने आज राजीव गांधी हत्याकांड के सभी दोषियों को बरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए दोषियों की रिहाई के आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 18 मई को अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए एक अन्य आरोपी पेरारिवलन को रिहा किया था। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दोषियों ने 30 साल से अधिक समय जेल में बिताया
कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने सभी दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की है, जिस पर राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की है। पीठ ने यह भी कहा कि दोषियों ने तीन दशक से अधिक समय जेल में बिताया है और जेल में उनका आचरण संतोषजनक था।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
उधर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि देश की शीर्ष अदालत ने भारत की भावना के अनुरूप कदम नहीं उठाया।
उन्होंने एक बयान में कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को (समय-पूर्व) रिहा करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला पूरी तरह अस्वीकार्य और त्रुटिपूर्ण है। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट रूप से इसकी आलोचना करती है और इसे अरक्षणीय पाती है।”
रमेश ने यह भी कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप कदम नहीं उठाया।”
राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 40 साल की उम्र में देश के प्रधानमंत्री का जिम्मा संभाला था।
राजीव गांधी के कार्यकाल में स्कूलों में व्यापक स्तर पर कंप्यूटर लगाने का काम शुरू किया गया था। उनके ही कार्यकाल में जवाहर नवोदय स्कूलों की स्थापना हुई थी और पीसीओ के जरिए टेलीफोन गांव गांव तक पहुंच गए थे।
कैसे हुई राजीव गांधी की हत्या?
राजीव गांधी चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गए थे। इसी बीच श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज एलटीटीई की एक आत्मघाती हमलावर ने बम फोड़ कर इस घटना को अंजाम दिया।
इस घटना में राजीव गांधी समेत 16 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।