प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर सवाल एक-एक कर सभी नेता उठा रहें है। इस सवाल को उठाने वाले वो शख्स ज्यादा है जिन्हें अदालत ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। इनमें एक है पाटीदार आन्दोलन की वजह सुर्ख़ियों में आये हार्दिक पटेल। जिनपर कई केस दर्ज है, जिसके कारण इस बार वो चुनाव नहीं लड़ रहें है।

कांग्रेस के शामिल हुए हार्दिक का कहना है कि बीजेपी युवाओं की बात तो करती है मगर एक 25 साल के युवा को चुनाव लड़ने से रोकती है। हार्दिक कहते है कि बीजेपी को ना जाने कौन सा डर था उसने मुझे चुनाव लड़ने रोक दिया।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक मेरे मामले की बात है, मेरे से ज्यादा गंभीर मामला तो भोपाल उम्मीदवार पर है फिर उन्हें क्यों नहीं रोका गया? सिर्फ हार्दिक पटेल को क्यों रोका गया, ये सवाल है मेरा बीजेपी से। क्योंकि हार्दिक कांग्रेस में है और प्रज्ञा भाजपा में। हम राष्ट्रभक्त हैं और वह देशद्रोही, इसलिए चुनाव लड़ सकती हैं।

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गुजरात से बेहतर नतीजों की उम्मीद करते हुए हार्दिक ने कहा कि गुजरात में इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी। गुजरात की जनता ने भाजपा को हराने का फैसला कर लिया है। वर्ष 2017 के चुनाव में कुछ कमी रह गई थी, मगर इस बार जनता ने फैसला कर लिया है।

बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर पर आतंक फ़ैलाने का आरोप है और वो फिलहाल बेल पर बाहर है। इसी के साथ ही वो मध्यप्रदेश की भोपाल सीट पर चुनाव भी लड़ रही है। मगर वही दूसरी तरफ हार्दिक पटेल जिनपर साल 2015 में हुए दंगे में निचली अदालत ने हार्दिक को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई है।

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इसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय में पहुंचे, जहां उन्होंने अदालत के फैसले पर स्थगनादेश देने की मांग की, ताकि वे लोकसभा चुनाव लड़ सकें। हाईकोर्ट ने इस मसले में राहत देने से इनकार कर दिया तो हार्दिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस याचिका में तत्काल सुनवाई योग्य कुछ नहीं पाया। इस तरह तय हो गया कि हार्दिक पटेल इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पायेगें ।

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