गुरुग्राम के मानेसर में मुंबई और सूरत जैसा नज़ारा देखने को मिला। यहां भी लॉकडाउन से परेशान मज़दूर घर वापस जाने के लिए बड़ी तादाद में इकठ्ठा हो गए, जिससे अफरातफरी मच गई। जिसे काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
ये मज़दूर खोह गांव के एक मीडिल स्कूल में इकठ्ठा हुए थे। स्कूल में प्रवासी मज़दूरों को घर वापस भेजने के लिए पंजीकरण हो रहा था। इस बात की खबर जब मज़दूरों को हुई तो वहां बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के आठ सौ से अधिक श्रमिक पहुंच गए। मजदूरों की तादाद को देखते हुए पंजीकरण करने से मना कर दिया गया। जिससे नाराज़ मज़दूरों ने वहां धरना दे दिया।
धरने के दौरान ही मौके पर पुलिस पहुंच गई और उसने मज़दूरों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज शुरू कर दिया। जिससे वहां भगदड़ मच गई। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के चलते भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास खाने और रहने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए वो घर वापस जाना चाहते हैं।
हालांकि सरकार का दावा है कि वो प्रवासी मज़दूरों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। खोह गांव के सरपंच राजेंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूल में हजारों श्रमिकों को रोज तरह तरह के खाने वितरित किए जा रहे थे। लेकिन अब इस भगदड़ के बाद स्कूल में खाना वितरित नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सरपंच ने स्कूल में मज़दूरों के पंजीकरण की बात को अफ़वाफ बताया।
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। लोग इसकी तुलना मुंबई की घटना से करते हुए मीडिया पर निशाना साध रहे हैं। यूजर्स का कहना है की मुंबई की तरह मानेसर में कोई मस्जिद पास में नहीं थी वरना मीडिया इसे मस्जिद की साज़िश बता देता।
कांग्रेस नेता एवं शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्वीट कर लिखा, “मस्जिद नहीं है आसपास कोई, इसलिये ये ख़बर मीडिया के किसी काम की नहीं। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, “और मानेसर से केवल 52 किलोमीटर की दूरी पर जामा मस्जिद है। इस एंगल से घटना की जाँच होनी चाहिये।”
मस्जिद नहीं है आसपास कोई, इसलिये ये ख़बर मीडिया के किसी काम की नहीं https://t.co/QfxrCiL7kT
— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) May 3, 2020
बता दें कि इससे पहले 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा इलाके में प्रवासी मज़दूरों इकट्ठा हुए थे। ये मज़दूर इसलिए बांद्रा के एक स्टेशन के पास इसलिए इकठ्ठा हुए थे क्योंकि ये अपने अपने राज्य वापस जाना चाहते थे। लेकीन वो जिस जगह इकठ्ठा हुए थे वहां करीब में एक मस्जिद थी। जिसके बाद मज़दूरों के इकठ्ठा होने को मीडिया ने मस्जिद की साजिश बता दिया था।