महाराष्ट्र में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाकर शिवसेना को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

भाजपा और शिवसेना इस मुद्दे पर एक बार फिर से आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा द्वारा इस मामले में सदन में भी उठाया गया है। वहीँ शिवसेना द्वारा इसे राजनीति के तहत उठाया गया कदम करार दिया गया है।

इसी बीच पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। परमवीर सिंह ने महाराष्ट्र के लेटर बम मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

दरअसल जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा है कि परमबीर सिंह को पहले हाई कोर्ट का रुख करना चाहिए।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं। वो बहुत गंभीर हैं।

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस सुधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया गया है। जब भी कोई राजनीतिक स्थिति सामने आती है। तभी पुलिस सुधारों का मुद्दा उठाया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 32 के तहत जो कर सकता हैं। वो हाईकोर्ट 226 के तहत क्यों नहीं कर सकता। उनको भी यह अधिकार दिया गया है।

वहीं इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा- “महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की भाजपाई कोशिशों को सुप्रीम कोर्ट ने नेस्तनाबूद कर दिया”

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका में परमवीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि अनिल देशमुख के घर की सीसीटीवी जी भी जांच की जाए।

इसके साथ ही ठाकरे सरकार के उस आदेश को भी रद्द करने की मांग की है। जिसके तहत उनका ट्रांसफर मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से किया गया था।

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