वैसे तो नेताओं को लाशों पर राजनीति करने की आदत होती है लेकिन आजकल के नेताओं की नई आदत हो गई है लाशों पर फोटोग्राफी करवाने की।

ये महाशय लाशों पर भी फोटोग्राफी करने से बाज नहीं आ रहे। ये हैं मध्यप्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और भोपाल के पूर्व महापौर आलोक शर्मा।

ये शव वाहनों को रवाना करने से पूर्व समारोहपूर्वक फोटो खिंचवा रहे हैं। इन वाहनों में कोरोना से मृत हो चुके लोगों को श्मशान घाट तक पहुंचाया जाएगा।

देश के जाने माने पत्रकार अजीत अंजुम ने इस पर एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि मौत का तमाशा बनाना कोई इनसे सीखे ! इस पर लोगों की ओर से भी तरह तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है।

संतोष शर्मा नामक एक यूजर लिखते हैं कि इन लोगों का कोई ईमान धर्म नहीं है। इन्हें केवल अपने स्वार्थ से सरोकार है. वहीं मनीष कुमार लिखते हैं कि बहुत दुख की बात है, इतनी घटिया मानसिकता ऐसे समय में।

मोहम्मद सिद्दीकी कहते हैं कि मौत को इवेंट्स में तब्दील कर दिया गया है… लेकिन भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं. हर चीज का हिसाब होगा।

वहीं वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने भी इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा है कि पहले गुजरात से आए ऑक्सीजन सिलेंडर के ट्रक के साथ सेल्फी और फोटा खिंचवाना और उसे जबर्दस्ती 2 घंटे तक रोक कर रखना.अब शव वाहन को भी रोक कर उसके साथ फोटो खिंचवाना. इनके लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है, इनके लिए. हद है बिल्कुल !

इस पर मुदित वाजपेयी लिखते हैं कि मतलब ये है कि इन लोगों ने आम जनता को श्मशान में भेजने का पूरा इंतजाम कर लिया है. गजब देश है मेरा !

वहीं ताजा नामक एक यूजर कहते हैं कि इन लोगों को हमेशा उत्सव मनाने का शौक होता है। वह हर वक्त उत्सव मनाते रहते हैं चाहे किसी के श्मशान में हो चाहे कोई मर जाए या कोई कुछ और हो जाए।

वहीं एमएस पाटिल नामक यूजर ने लिखा है कि 10 शव वाहन देने से अच्छा होता कि रेमेडिसीवीर के इंजेक्शन और ऑक्सीजन के सिलेंडर ही मुहैया करा देते. लाशों का उत्सव मनाने से अच्छा होता कोविड अस्पताल की ही समारोह कर देते.

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