बीते महीने उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए महाकुंभ की वजह से कई राज्यों में कोरोना बम फूटा। दरअसल महाकुंभ में शाही स्नान के लिए लाखों लोग इकट्ठे हुए थे।

जिसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में बड़ी तादाद में लोक कोरोना संक्रमित पाए गए थे।

इसी बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व पत्रकार और राष्ट्रीय लोक दल के नेता प्रशांत कनौजिया ने ट्विटर के जरिए एक जानकारी शेयर की है।

जिसमें उन्होंने लिखा है- “उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कुंभ को प्रतीकात्मक रूप से मनाना चाहते थे। क्योंकि कोरोना महामारी है, लेकिन भाजपा नेतृत्व चाहता था कि बिना रोक-टोक के भव्य मेला आयोजित किया जाए। रावत ने मना कर दिया तो उन्हें हटा दिया गया। ”

कारवां मैगजीन की जिस खबर को शेयर करते हुए प्रशांत कनौजिया ने ये लिखा है।

उसमें दावा किया गया है कि एक दर्जन से ज्यादा भाजपा नेताओं, अखाड़ा परिषद के महंतों और कुंभ आयोजन के अधिकारियों के इंटरव्यू से ये बात सामने आई है कि यह लोग भाग्य कुंभ करवाना चाह रहे थे और त्रिवेंद्र सिंह रावत सांकेतिक कुंभ करवाना चाहते थे, इसलिए दबाव डालकर उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा था कि उन्होंने भाजपा आलाकमान के दबाव में आकर यह फैसला लिया है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर भाजपा ने इस पद पर तीरथ सिंह रावत को बिठाया।

उत्तराखंड में हुए महाकुंभ की वजह से त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपना मुख्यमंत्री पद खोना पड़ा। क्यूंकि वे इस महाकुंभ को प्रतीकात्मक रूप से करवाना चाहते थे।

देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए हरिद्वार में हुए महाकुंभ को भी कारण बताया गया। क्यूंकि इसमें कोरोना नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गई।

जिसके चलते भाजपा सरकार की जमकर आलोचना भी की गई। इसके चलते बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही इसे प्रतीकात्मक रूप से जारी रखने का आदेश जारी किया।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में राज्य में सत्तारूढ़ सरकार को कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी है।

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