पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी अंदरुनी कलह से गुजर रही है। पार्टी आंतरिक मतभेद के दौर से गुजर रही है।
यूपी से लेकर कर्नाटक और बंगाल से लेकर बिहार तक घमासान ही घमासान मचा हुआ है लेकिन देश की मीडिया को सिर्फ लगातार तीन बार चुनाव हारकर तीसरे नंबर पर रहने वाले जितिन प्रसाद ही दिखाई दे रहे हैं।
वह जितिन प्रसाद जो अपने परिवार के लोगों को पंचायत चुनाव भी नहीं जितवा पाते हैं, मीडिया उनको भयंकर जनाधार वाला नेता घोषित करने में लग गई है।
वरिष्ठ पत्रकार साक्षी जोशी ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कहा है कि “यूपी में भाजपा की अंदरुनी कलह साफ साफ दिखाई दे रही है। पश्चिम बंगाल में महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर गाज गिराने की तैयारी चल रही है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राॅय टीएमसी में चले जाते हैं।
अब कर्नाटक में कलह शुरु हो चुका है लेकिन गोदी मीडिया को गुजरात कांग्रेस और जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना ही दिखाई देता है।”
यूपी में अंदरूनी कलह साफ़ दिखती है
बंगाल में कैलाश जी पर गाज गिर सकती है
मुकुल रॉय टीएमसी में चले जाते हैं
कर्नाटक में अब देखिए कैसी अंदरूनी कलह चल रही हैलेकिन गोदी मीडिया को गुजरात कांग्रेस और जितिन प्रसाद का बीजेपी में जाना ही दिखता है 🤷🏽♀️
https://t.co/l5qrS9m0z5— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) June 16, 2021
अभी पिछले कुछ दिनों से यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी के बीच तनातनी की खबरें सामने आ रही थी।मोदी और योगी के बीच कटुता इस हद तक बढ़ गई कि मोदी ने योगी को जन्मदिन की बधाई देने से भी परहेज किया।
यूपी का मामला अभी चल ही रहा था कि भाजपा को बड़ा झटका पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राॅय ने दे दिया।
मुकुल राॅय बंगाल में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक भी थे। उन्होंने टीएमसी ज्वाइन कर ली लेकिन मीडिया जितिन प्रसाद के गुणगान में ही व्यस्त है।
बिहार की स्थिति यह है कि यहां भाजपा जदयू सरकार में आपसी खींचतान इतनी बढ़ गई है कि सरकार में शामिल सभी दल एक दूसरे की टांग खींचने में ही व्यस्त हैं।
भाजपा और जदयू में वर्चस्व की जंग तेज है। दो अन्य सहयोगी मांझी और सहनी इधर उधर तांक झांक कर रहे हैं।एनडीए के सहयोगी आपस में ही तोड़फोड़ मचाए हुए हैं।
लोजपा में हुई टूट इसका ताजा उदाहरण है लेकिन मीडिया अब भी कांग्रेस के जमानत जब्त नेता जितिन में ही उलझी हुई है।
ताजा हाल कर्नाटक का है। कर्नाटक में भाजपा का नाटक खत्म होने का नाम हीं नहीं ले रहा। पार्टी में बगावत और मतभेद इस हद तक चला गया है कि पार्टी को राष्ट्रीय महासचिव और प्रभारी अरुण सिंह को दखलंदाजी के लिए भेेजना पड़ा।
विधायकों को नियंत्रित करने के लिए महासचिव को कहना पड़ गया कि कोई भी विधायक अपनी बात मीडिया में न रखें। जिसे जो कहना हो सीधे पार्टी फोरम पर कहे।
जाहिर है कि कर्नाटक में भाजपा विधायकों के बीच असंतोष है लेकिन मीडिया है कि जितिन प्रसाद को ही राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में व्यस्त और मस्त है।