सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मार्कंडेय काटजू पहले से ही अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा लिखा है जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।

4 जून, 2021 की तारीख के जनसत्ता अखबार में मार्कंडेय काटजू का एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख में उन्होंने लिखा है कि टीवी पत्रकार ये अनुमान लगा रहे हैं कि भाजपा की लोकप्रियता कम हुई है और इसका कारण है कोरोना महामारी और बेरोजगारी जैसे मुद्दे।

इन्हीं मुद्दों के वजह से भाजपा का जनाधार कमजोर हुआ है। ये पत्रकार फरवरी 2022 में होने वाले उत्तरप्रदेश चुनाव के बारे में अटकलें लगा रहे हैं कि आने वाले चुनाव में भाजपा की दुर्दशा होगी।

काटजू ने आगे अपने लेख में लिखा है कि इसका असर उत्तरप्रदेश में पिछले महीने हुए पंचायत चुनाव में भी देखा गया है। लेकिन अभी भी चुनाव में 8 महीने का वक्त बचा है।

इस बीच कई ऐसी घटनाएं हो सकती हैं जो भाजपा समर्थकों को आज की बदहाली भूलने का अवसर दे सकती हैं। ये घटनाएं वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद से भी जुड़ी हो सकती हैं। “गुजरात” और “मुजफ्फरनगर” भी दोहराया जा सकता है।

जाहिर है ऐसा कुछ हुआ तो उत्तरप्रदेश पुलिस आंखें मूंदे रहेगी क्योंकि उत्तरप्रदेश में भाजपा की ही सरकार है।“

मार्कंडेय काटजू यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बालाकोट स्ट्राइक पर भी लिखा।
“अपनी गिरती लोकप्रियता के मद्देनजर 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व बालाकोट पर हमला भी कुछ ऐसा ही कदम था। उसके बाद कहा गया कि हमने घर में घुसकर मारा है। इसपर भारत के नागरिकों ने खूब तालियां बजायी थीं।“

मार्कंडेय काटजू से बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद सीधे देश की 90 फीसदी जनता को घेरते हुआ कहा कि मैंने कई बार कहा है कि भारत के 90 फीसदी लोग बेवकूफ और भावुक होते हैं ना कि समझदार। इसलिए उन्हें बेहद आसानी से झांसा दिया जा सकता है।

काटजू ने अपने 90 फीसदी जनता को बेवकूफ बताने वाले कथन के समर्थन में उदाहरण देते हुए इंदिरा गांधी को याद किया और लिखा कि जब इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था तो लोगों ने तुरंत मान लिया कि गरीबी हट जाएगी। ठीक वैसे ही जब नरेंद्र मोदी ने विकास होने का वादा किया तो जनता उस नारे में फंस गयी।

काटजू ने फिर देश के हिंदुओं और सांप्रदायिकता पर भी निशाना साधा। काटजू ने लिखा कि हमारे संविधान में लिखा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। पर वास्तविकता कुछ और ही है।

भारत के अधिकांश हिंदु सांप्रदायिक होते हैं और अधिकांश मुसलमान भी। सांप्रदायिक भावनाएं आसानी से भड़कायी जा सकती हैं और चुनाव जब निकट होगा ऐसा जरूर होगा।

चूंकि हमारी 80 फीसदी आबादी हिंदु है तो भाजपा के हारने का सवाल ही नहीं उठता।

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