केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार अब तीनों कृषि बिलों को लेकर बुरी तरह से घिर गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे योगेंद्र यादव ने भाजपा को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरवाने की चेतावनी दी है।

एक साक्षात्कार के दौरान योगेंद्र यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर केंद्र सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस नहीं लिए तो भाजपा का यूपी और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में वही हश्र होगा जो पश्चिम बंगाल में हुआ।

योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन तब तक चलता रहेगा तब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि बिल वापस नहीं ले लेती।

योगेंद्र ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार हमें अलग अलग बातों में उलझाना चाहती है लेकिन हमारे लिए कृषि बिलों को वापस लेने और एमएसपी का मुद्दा महत्वपूर्ण है।

योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार हमारी बातें मान ले तो हम उठकर अपने घर चले जायेंगे।

एंकर द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या अब माना जाए कि किसान आंदोलन अपने असल मकसद से हटकर सिर्फ भाजपा के विरोध पर आकर टिक गई है।

इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि ये सरकार न तो संविधान की भाषा समझती है, न किसानों की भाषा समझती है, न अर्थशास्त्र की भाषा समझती है, न इंसानियत की भाषा समझ आती है. इस सरकार को केवल चुनाव, वोट और सत्ता की भाषा समझ आती है,

इसलिए मजबूरी में हमें बंगाल में भाजपा का विरोध जैसा कदम उठाना पड़ा और अब भी अगर ये कृषि बिलों को वापस नहीं लेते हैं तो हमें मजबूरन उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी ऐसा करना पड़ेगा. हमें आंदोलन करने का कोई शौक है क्या?

मालूम हो कि आज कृषि कानून से जुड़े अध्यादेश के आने का एक साल पूरा हुआ है और किसान आंदोलन अब भी जारी है। आज किसानों ने इस अध्यादेश के 01 वर्ष पूरे होने पर सम्पूर्ण क्रांति दिवस मनाया।

इस मौके पर किसानों ने देश के अलग अलग हिस्सों में कृषि अध्यादेश की प्रतियां जलाई और विरोध प्रदर्शन किया।

किसानों ने हाथों में काला झंडा लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान 189 दिनों से अब तक डटे हुए हैं।

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