प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक बुलाई गई थी। जिसमें जम्मू-कश्मीर के सियासी भविष्य पर चर्चा की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक का कश्मीरी पंडितों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

यूथ ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के सदस्य की ओर से कहा जा रहा है कि उनके किसी भी प्रतिनिधि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में नहीं बुलाया गया है।

कश्मीर के मुकाबले जम्मू को काफी कम तरजीह दी गई है। जिसके चलते कश्मीरी पंडितों ने नाराजगी जताते हुए सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया है।

इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में उनके प्रतिनिधि को बुलाया जाना चाहिए था। ताकि वह भी अपनी बात रख पाते। लेकिन इस बैठक में सिर्फ कश्मीर के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।

जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीरी पंडितों के निशाने पर आ गए हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बीते 3 दशकों से जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उनका तिरस्कार किया जा रहा है।

राजनीतिक दल चुनावों के वक्त अपने सियासी फायदे के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं।

इनका कहना है कि हम सरकार के समक्ष यह मांग रखना चाहते हैं कि राज्य में जब सरकार बने। तो उसमें हमारे चार प्रतिनिधि हो और संसद में भी हमारे दो प्रतिनिधि हो। क्योंकि हर सरकार ने हमें अब तक सिर्फ नजरअंदाज किया है।

इन लोगों का कहना है कि जब भी जम्मू-कश्मीर में चुनाव होते हैं। तो हमेशा कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाकर भाजपा द्वारा सियासी रोटियां से की जाती हैं।

उसके बाद उनकी कोई सुध बुध नहीं ली जाती। अब जब चुनाव होंगे तभी भाजपा कश्मीरी पंडितों को याद करेगी।

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