बीते कुछ सालों से केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने कई फैसले लिए हैं। जिन्हे विपक्षी दलों द्वारा जनविरोधी करार दिया गया है।
साल 2014 में ‘अच्छे दिन’ लाने का वादा करने वाले पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के दो सालों में नोटबंदी लाकर लोगों को लाइनों में लाकर खड़ा कर दिया।
इसके बाद बीते साल लाए गए नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब इस साल कृषि कानूनों की वजह से भाजपा विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता के निशाने पर भी बनी हुई है।
गौरतलब है कि देश में बेरोजगारी और गरीबी का स्तर चरम सीमा पर है। मजदूर वर्ग के लोग भुखमरी से जूझने रहे हैं।
गरीब गैस सिलेंडर और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। वहीँ मोदी सरकार द्वारा देश के विकास के झूठे दावे किए जा रहे हैं। किसान इस वक्त कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
इसी बीच विपक्षी पार्टियों द्वारा भाजपा पर लगातार यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि देश का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है। सरकारी संस्थानों को बेचकर मोदी सरकार पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही है।
जिससे यह देश दोबारा गुलामी की तरफ चला जाएगा। भाजपा राज में गरीब जहां और गरीब होता जा रहा है। वही देश के अमीर पूंजीपतियों की खूब चांदी हो रही है।
इसी बीच कवि डॉ कुमार विश्वास ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ।
असली आजादी तो तब आएगी जब वह आदमी,जो खेतों में अन्न उपजाता है,भूखा नहीं सोए। वह आदमी, जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे। वह आदमी, जो मकान बनाता है,स्वयं बेघर नहीं रहे!”(सरदार भगतसिंह)
इससे पहले भी डॉ कुमार विश्वास मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करते रहे हैं।