पिछले दिनों संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी प्रमुख और सीएम ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार थी। इस सीट पर उन्हें भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के हाथों बेहद कम वोटों के अंतर से पराजित घोषित कर दिया गया।
ममता इस चुनाव परिणाम से संतुष्ट नहीं थीं। अत: उन्होंने कोर्ट का रुख किया और शुभेंदु के निर्वाचन को चुनौती दी।
ममता बनर्जी ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि इस सीट पर मतगणना में धांधली की गई है।
वहीं इस मामले में नया मोड़ तब आया तब इस याचिका की सुनवाई करने वाले जज कौशिक चंद्रा के भाजपा सदस्य होने की भनक मिली।
सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें वायरल हुई जिसमें जज कौशिक चंद्रा भाजपा की बैठकों में शामिल होते हुए दिखाई दे रहे हैं।
जाहिर है कि जो जज भाजपा की बैठकों में सक्रिय भूमिका निभाता हो, वह इस मामले की निष्पक्ष तरीके से सुनवाई नहीं कर सकता।
ममता बनर्जी ने इस मसले पर कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल को एक पत्र लिखा है और मांग की है कि उनकी चुनावी याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच को बदल दिया जाए।
ममता बनर्जी के वकील ने दावा किया है कि इस याचिका की सुनवाई करने वाले जस्टिस कौशिक चंद्रा भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं।
ममता बनर्जी के वकील ने कहा कि चूंकि ये मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है। स्वाभाविक है कि इसके परिणाम भी राजनीतिक होंगे, चूंकि जस्टिस एक दल विशेष की विचारधारा से जुड़े हुए हैं, अतः इस मामले की सुनवाई किसी अन्य बेंच को सौंप दी जाए।
वकील ने आशंका जताई है कि संभव है कि सुनवाई के दौरान जस्टिस कौशिक चंद्रा इस सुनवाई के दौरान पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाए।
वकील ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी ने इसके पहले भी जस्टिस कौशिक चंद्रा की कोलकाता हाईकोर्ट में स्थाई नियुक्ति पर एतराज जताया था।
वहीं हाईकोर्ट के कुछ वकीलों ने ममता बनर्जी की याचिका को जस्टिस कौशिक चंद्रा की बेंच को सौंपे जाने के विरोध में कोर्ट परिसर के बाहर नारेबाजी की।
इसके पहले भी टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी जस्टिस कौशिक चंद्रा को इस केस की सुनवाई सौंपे जाने का विरोध किया था।
ब्रायन ने भाजपा की बैठकों में शामिल होते हुए जस्टिस चंद्रा की तस्वीरें जारी करते हुए कहा कि अब न्यायपालिका इससे ज्यादा भी नीचे गिर सकती है क्या !