इजराइल पर हुए हमास के हमले को लेकर सत्तारूढ़ दल भाजपा इसको कई एंगल से देख रही है। बीजेपी के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल और भाजपा नेताओं के ट्वीट को देखे तो इस बात का पता चल जाता है कि देश में आने वाले कुछ महीनों में चुनाव है, इजराइल प्रेम मानों सच्चे भारतीय के लिए जरूरी है एक बाध्यता है।

इजराइल प्रेम के बिना कोई भी भारतीय राष्ट्रवादी नहीं हो सकता है देशभक्त नहीं हो सकता है कुछ इसी तर्ज़ पर बीजेपी से लेकर गोदी मीडिया बोल रहा है ।

जबकि पंडित नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक ने फिलीस्तीन का साथ दिया समर्थन किया और फिलीस्तीन भी कश्मीर के मुद्दे पर भारत के साथ हर दम रहा,लेकिन न्यू इंडिया में न कुटनीतिक रिश्तें जरूरी है न ऐतिहासिक संबंध न मानवीय पहलू।

जरूरी तो है बस पीएम मोदी का ट्वीट, पीएम मोदी ने एक ट्वीट के जरिए से कहा था कि ‘भारत आतंकवाद के विरुद्ध इजराइल के साथ खडा है।’

पीएम मोदी के इस ट्वीट के बाद हैरानी भी हुई की आखिर इज़राइल पर इतनी जल्दी प्रतिक्रिया कैसे आ गई। जबकि अपने ही देश के मणिपुर की आग की तपिश अब तक दिल्ली दरबार को महसूस नहीं हुई, आखिर क्यों ?

पीएम के इस ट्वीट पर मणिपुर की एक बच्ची ने पीएम मोदी को टैग करते हुए मणिपुर हिंसा पर उनसे बोलने की मांग की है।

यह बच्ची दुनिया की सबसे कम उम्र की जलवायु कार्यकर्ता है।
दरअसल लिसिप्रिया भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से ताल्लुक रखती हैं और पर्यावरण के मुद्दे पर काफी सक्रिय हैं।

मैतेई समुदाय से आने वाली महज 12 साल की लिसिप्रिया मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा को लेकर भारत सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े करती रही है।

वीडियो साझा करते हुए लिसीप्रिया ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘यह इसराइल या फ़लस्तीन नहीं है। यह मणिपुर में कुकी आतंकवादियों द्वारा नष्ट किया गया चुराचांदपुर जिले का मैतेई लोगों का एक पूरी तरह से तबाह शहर है। यह 5,000 मिसाइल गिराने से भी अधिक भयावह है। आप मणिपुर के न्याय के लिए कब बोलने जा रहे हैं?’

इससे पहले लिसिप्रिया ने 7 अक्टूबर की शाम को इसराइल में हमलों की ख़बर पर PM मोदी के शोक संवेदना वाले संदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भी मणिपुर हिंसा को लेकर सवाल खडा किया था।

लिसीप्रिया ने लिखा था कि “सर, आपके अपने राज्य मणिपुर के बारे में क्या कहना है? आपको मणिपुर के लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन आपका दिल इज़राइल की ओर कैसे जाता है?

म्यांमार के आतंकवादी पिछले 5 महीनों से भारत पर हमले कर रहे हैं और 200 से अधिक निर्दोष लोगों को मार डाला है और 1,00,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। मई से 40,000 से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं। आप कब तक चुप रहेंगे? हम मणिपुर के लिए न्याय चाहते हैं।”

पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप भी लिखते है कि गोदी मीडिया को इज़राइल नज़र आ रहा है, मगर मणिपुर नहीं..मणिपुर में रोते बिलखते परिवार, सैंकड़ों मर चुके हैं, हज़ारों विस्थापित और लाखों लोग तबाह,कोई समाधान नहीं। 

मणिपुर पांच माह से हिंसा और अराजकता से पीड़ित है। क्या इजराइल की तरह मणिपुर के लिए पीएम मोदी को ट्वीट नहीं करना चाहिए था? संवेदना जतानी नहीं चाहिए था? शांति बनाने का संदेश नहीं देना चाहिए था।

इजराइल के साथ खड़े होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर को अकेला क्यों छोड़े हुए हैं ? आखिर इज़राइल से अपनापन और मणिपुर से सौतेलापन क्यों?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here