केंद्र की मोदी सरकार और सार्वजनिक कंपनी हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। अब केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने HAL की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे बेहतर कामकाज की उम्मीद नहीं की जा सकती।
पुणे में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘HAL की हालत देखें। हमारे दो पायलटों की जान चली गई। माफी चाहूंगा लेकिन HAL के कार्यक्रम साढ़े तीन साल पीछे चल रहे हैं। विमान के हिस्से रनवे पर गिर रहे हैं। क्या यह क्षमता है? वहीं दूसरी तरफ, हम कहते हैं कि HAL को काम (राफेल का) नहीं मिल रहा।’
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि उसने कारोबारी अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए HAL की जगह रिलायंस एयरोस्पेस को राफेल डील का ऑफसेट पार्टनर बनाया, जो कि डील से महज़ कुछ दिन पहले ही वजूद में आया था।
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मोदी सरकार पर उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को राफेल सौदे में फायदा पहुंचाने के कांग्रेस के दावों पर वीके सिंह ने कहा, ‘राफेल के मामले में फ्रांस ने ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के लिए कंपनी चुनने का निर्णय लिया था।
ऑफसेट का उद्देश्य उद्योग को यहां बढ़ावा देना था। अगर उनकी कंपनी HAL से संतुष्ट नहीं थी तो यह उनका फैसला था। यह भारत सरकार का फैसला नहीं है।’
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उन्होंने कहा कि HAL की इस स्थिति के बावजूद यह सवाल उठाया जा रहा है कि HAL को राफेल का काम क्यों नहीं मिला? एचएएल तो ऐसे काम हासिल करने के लिहाज से अक्षम है।