केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समय समय पर यह कहती रहती है कि हम वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे लेकिन सरकार के इस दावे की हवा निकाल दी सरकार के ही एक अधिकारी ने! नीति आयोग के सदस्य डॉ रमेश चंद ने।

दरअसल रमेश चंद पीटीआई को इंटरव्यू दे रहे थे और मोदी सरकार की तरफदारी में तीनों कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे थे।

डॉ रमेश चंद ने इस इंटरव्यू में कहा कि अगर ये तीनों कृषि कानून लागू नहीं हुए तो मुझे नहीं लगता कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा हो पाएगा।

स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव कहते हैं कि किसानों की आय दोगुनी करने का ऐलान वर्ष 2016 की फरवरी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हुआ था।

पीएम मोदी ने घोषणा की थी वर्ष 2022 तक देश के सभी किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी लेकि अब नीति आयोग के सदस्य एवं मोदी सरकार का एक विशेषज्ञ खुद ही कह रहा है कि इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता।

योगेंद्र यादव कहते हैं कि वजह यह नहीं है कि ये मिशन अपनी शुरुआत में ही हवा हवाई था या फिर सरकार ही इस दिशा में कोई कदम उठाने में असफल साबित हुई !

कितना विचित्र तर्क सरकार की ओर से दिया जा रहा है कि तीनों कृषि कानून लागू नहीं हो पा रहे हैैं, इसलिए किसानों की आय दोगुनी नहीं हो पाएगी।

चूंकि किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा स्वयं प्रधानमंत्री ने यूपी के बरेली में 28 फरवरी 2016 को किया था। यह वायदा तो भाजपा के घोषणा पत्र में भी नहीं था।

आप मानते होंगे कि सरकार ने इतना बड़ा वायदा करने से पहले कोई तो होमवर्क किया होगा। सरकार ने तो कोई तो गणित लगाया होगा कि कैसे किसानों की आय को दोगुना कर दिया जाएगा!

2016 से 2021 आ गया। इस हिसाब तो इन सालों में किसानों की आमदनी में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि तो होनी चाहिए थी न!

दरअसल मोदी सरकार के इस वायदे से किसानों को हासिल कुछ नहीं हुआ, हां बीजेपी को कुछ फायदा जरुर हो गया। उसे कुछ वोट जरुर हासिल हो गया।

योगेंद्र के अनुसार अगर इस सदी के सर्वश्रेष्ठ जुमलों को चुनने की कोई प्रतियोगिता होगी तो निश्चित तौर पर मोदी सरकार का किसानों की आमदनी दोगुनी करने का जुमला सबसे पहले पायदान पर होगा।

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