हाल ही में एनसीआरबी द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें आत्महत्या के मामलों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में किसान और मजदूर बड़े स्तर पर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। साल 2019 में लगभग 42,480 किसानों और दैनिक मजदूरों ने आत्महत्या की है।

आपको बता दें कि साल 2019 में यह आंकड़े साल 2018 के मुकाबले 6 फ़ीसदी बढ़े हैं। जिसमें किसान आत्महत्या के मामले थोड़े कम हुए हैं लेकिन मगर मजूदरों की आत्महत्याएं आठ फीसदी बढ़ गई हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में 10221 किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि साल 2018 में 10357 किसानों ने आत्महत्या की थी। वही साल 2019 में 32559 मजदूरों ने आत्महत्या की। वहीँ 2018 में यह आंकड़ा 30132 था।

एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक, आत्महत्या करने वालों में से ज्यादातर पुरुष किसान हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या के मामलों में सबसे ऊपर बिहार इसके बाद पंजाब, झारखंड, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश है। जहां पर इन मामलों में बढ़ोतरी हुई है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट सामने आने के बाद मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि मोदी सरकार के कु-प्रबंधन के कारण आर्थिक तंगहाली से युवा, किसान और दिहाड़ी श्रमिक सबसे ज्यादा परेशान हैं।

किसान और दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं।

आपको बता दें कि हर रोज 116 किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। वही 38 बेरोजगार हर रोज अपनी जान दे रहे हैं। साल 2019 में 14,019 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की है। ये आशंका जताई जा रही है कि साल 2020 यानी कि करोना महासंकट के दौरान यह आंकड़े और भी बढ़ने वाले हैं।

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