देश में जो सरकार धर्मांतरण के नाम पर राजनीति कर रही हो, उसी सरकार के वरिष्ठ नेता धर्मांतरण की पैरवी करते हुए दिख रहे है।

जहां एक तरफ कट्टरवादी हिन्दू धर्मांतरण पर झूठ की राजनीति कर नफरत फैला रहे हो, वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का धर्मांतरण पर आया बयान बीजेपी के दोहरे चरित्र को दिखा है।

नकवी ने धर्मांतरण को सही ठहराते हुए कहा है कि “इस देश में हर चीज की आजादी है। पड़ोसी देश में देखिए क्या हो रहा है, हमारे देश में ऐसा नहीं होता और अगर कोई करता भी है, तो समाज उसको स्वीकार नहीं करता है।

बहुत बार ऐसी बात होती है जैसे धर्मांतरण। धर्मांतरण किसी देश के विकास का पैमाना नहीं हो सकता।

अगर इच्छा से कोई धर्मांतरण करना है तो करे। कोई सिख बनेगा कोई कुछ और बनेगा। सबके लिए खुला है। हमारा देश वसुधैव कुटुम्बकम है”।

उन्होने आगे कहा कि “हमारे देश में हर मजहब के लोग रहते हैं, आस्तिक भी हैं और नास्तिक भी हैं। अनेकता में एकता है, पुरानी संस्कृति है, इसलिए इस देश में असहिष्णुता नहीं है”।

बता दें कि नकवी ईसाई संगठनों से राजधानी दिल्ली में मुलाकात कर रहे थे। इस दौरान समुदाय की तरफ से सरकार को शिक्षा नीति और धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर दो मेमोरेंडम सौंपे गए हैं।

नकवी ने ईसाई संगठनों के काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि इंसानियत ही सेवा है। कोरोना में आपकी कई संस्थाएं हैं, जिन्होंने काम किया है। आपके इस जज्बे को सलाम करता हूं।

सौंपे गए मेमोरेंडम में ईसाई संगठनों का कहना है कि इस नीति के तहत कई ईसाई स्कूल और कॉलेज बंद हो सकते हैं, क्योंकि पुराने नियम और नई नीति में कई तरह के विरोधाभास हैं। साथ ही संगठनों को धर्मांतरण के आरोप में परेशान किया जा रहा है।

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