देश की सियासत में जब राष्ट्रवाद की बयार बह रही हो, जब देश में लोगों को देशभक्त और देशद्रोही के खांचे में बाँट दिया गया हो ऐसे में कुछ सवाल समय के साथ पूछे जाने ज़रूरी हो जाते हैं। ऐसा ही एक सवाल कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य विसेंट एच पाला और जसबीर सिंह गिल ने पूछा था।
उन्होंने पूछा कि क्या यह शब्द (टुकड़े-टुकड़े गैंग) किसी तरह की विशिष्ट जानकारी पर आधारित है? साथ ही कांग्रेस नेताओं ने यह भी पूछा कि क्या मंत्रालय या खुफिया एजेंसी के पास ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के कथित नेताओं और सदस्यों की कोई सूची तैयार है?
ऐसा इसलिए पूछा गया क्योंकि देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भी कई कद्दावर नेता आज कल टुकड़े-टुकड़े गैंग का इस्तेमाल अपने भाषणों और सोशल मीडिया हैंडल से खूब करते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसके पास ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसे किसी समूह के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
देशद्रोहियों की पूरी कोशिश के बावजूद दिल्लीवालों ने देश को बंटने नहीं दियाः अनुराग कश्यप
लोकसभा में इस सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि मंत्रालय को नहीं पता कि ये शब्द (टुकड़े-टुकड़े गैंग) कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दिए गए इनपुट पर आधारित है या नहीं। किसी भी कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा सरकार के संज्ञान में ऐसी कोई सूचना नहीं लाई गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले एक आरटीआई के जरिए भी सरकार से ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के बारे में पूछा गया था। जिसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि उनके पास इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं है।
BJP की करारी हार पर बोले प्रकाश राज- ‘गोली मारने’ वालों को दिल्ली की जनता ने ‘झाड़ू’ से मारा
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अक्सर अपने भाषणों में टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र करते हैं। इसे लेकर कार्यकर्ता साकेत गोखले ने 26 दिसंबर को ये आरटीआई दाखिल की थी। टुकड़े-टुकड़े गैंग की चर्चा पहली बार फरवरी 2016 में हुई थी।
उस वक्त दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित तौर पर ‘देश विरोधी नारे’ लगाने का आरोप लगा था। इस मामले से सम्बंधित लोगों के लिए ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का तभी से इस्तेमाल किया जाता है। बीते कुछ सालों में ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का इतना इस्तेमाल किया गया है की अब ये साधारण बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल होने लगा है।