केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार द्वारा साल 2016 में 8 नवंबर को नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया गया था। नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि उनके इस फैसले से देश में फैला भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा,

आतंकवाद पर रोक लगेगी और हवाला कारोबार समेत नक्सली हिंसा जैसी गतिविधियों पर नकेल कसी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे के बावजूद आज भी देश में भ्रष्टाचार और आतंकी गतिविधियां सरकार की नाक के नीचे चल रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा नकली करेंसी में भारी कमी आने के बात कही जा रही है।

नोटबंदी की पांचवी वर्षगांठ पर इंडियन स्टैटिसटिकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता द्वारा की गई एक स्टडी में सामने आया है कि साल 2017 के बाद से सुरक्षा और खुफिया एजेंसी द्वारा जब्त की गई नकली भारतीय करेंसी में हर साल बढ़ोतरी हो रही है।

साल 2016 से पहले हर साल 70 करोड़ की नकली करेंसी भारतीय अर्थव्यवस्था में डाली जाती थी। हालांकि नोटबंदी ने अस्थाई रूप से इस मात्रा को कम किया था। लेकिन साल 2017 को छोड़कर इस मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, साल 2016 में 15.92 करोड़, साल 2017 में 28.10 करोड़, साल 2018 में 17.95 करोड़, साल 2019 में 25.39 करोड़, साल 2020 में 92.17 करोड़ की नकली करेंसी जब्त की गई है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का सबसे बड़ा उद्देश्य पाकिस्तान में छपने वाली नकली करेंसी से छुटकारा पाना था।

लेकिन साल 2021 में भी नकली करेंसी भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।

बताया जाता है कि राज्य पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा जब्त की जाने वाली नकली करेंसी में सबसे ज्यादा 2000 के नोट शामिल है।

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