दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हुई हिंसा की घटना को तकरीबन 44 घंटे बीत चुके हैं। इस मामले में मीडिया की तरफ़ से कई तरह के ख़ुलासे भी सामने आ रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने तो हिंसा के लिए ज़िम्मेदार कई लोगों के नाम भी उजागर कर दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की तरफ से कोई खास कार्रवाई देखने को नहीं मिली है।
अभी तक मामले में किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और पुलिस पर तंज़ कसे जा रहे हैं। हैदराबाद से सांसद एवं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा, ‘जेएनयू पर हमला किसी आदमी ने नहीं, बल्कि एलियन ने किया था। वे मंगल और शुक्र ग्रह से आए थे। पुलिस मुख्यालय पर लैंड किया, हमला किया और वापस चले गए।’
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दिल्ली पुलिस पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, ‘घटना के समय डेढ़ घंटे दिल्ली पुलिस गायब रही। यही पुलिस तब रो रही थी जब उन्हें वकीलों ने पीटा था। फिर इन्होंने जामिया में छात्रों पर हमला किया था। हमले के शिकार स्टूडेंट पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया। यह पूरी तरह नाइंसाफी है’।
इसके साथ ही एआईएमआईएम चीफ ने जेएनयू वाइस चांसलर जगदेश कुमार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘अगर वीसी को शर्म है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। वे स्टूडेंट के गार्जियन हैं और उनका काम स्टूडेंट को सुरक्षित रखना है’।
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बता दें कि रविवार देर रात कुछ नकाबपोश गुडों ने जेएनयू कैंपस में घुसकर छात्रों और प्रोफेसरों पर हमला कर दिया था। इस हमले में कई छात्र और शिक्षक बुरी तरह घायल हो गए थे। छात्रों को लोहे के रॉड और डंडों से पीटा गया था, जिसके चलते कई छात्र इतनी बुरी तरह घायल हो गए कि उन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करना पड़ा। इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष को भी बुरी तरह से पीटा गया, जिसमें उनका सिर फट गया।
हमले में घायल हुए छात्रों ने साफ़तौर पर एबीवीपी के लोगों का नाम लिया है और पुलिस पर उन्हें संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाया है। हालांकि पुलिस और एबीवीपी दोनों ही छात्रों के इन आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं।