EPFO
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मोहित सिंह

केन्द्र की मोदी सरकार ने होली के पहले ही देश के 6 करोड़ नौकरी करने वालों को बड़ा झटका दिया है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बृहस्पतिवार को बैठक कर यह जानकारी दी है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर को घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया यह वित्त वर्ष 2018-19 में 8.65 प्रतिशत था।

यह फैसला ईपीएफओ की केंद्रीय न्यासी निदेशक मंडल (सीबीटी) की मीटिंग में लिया गया है। सीबीटी ईपीएफओ से जुड़े फैसले लेने वाला शीर्ष निकाय है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भविष्य निधि पर ब्याज दर 8.65 प्रतिशत थी।

ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2016-17 में भविष्य निधि पर 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 प्रतिशत का ब्याज दिया था। जबकि 2015-16 में यह 8.8 प्रतिशत वार्षिक था। इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में भविष्य निधि पर 8.75 और 2012-13 में 8.5 प्रतिशत ब्याज दिया गया।

अब आने वाले समय में देखना होगा कि श्रम मंत्रालय के इस फैसले के लिये वित्त मंत्रालय से सहमती लेनी होगी, क्योंकि यह फैसला भारत सरकार के भविष्य निधी गारंटी वाले मुद्दे से जुड़ा हुआ है। इसलिए वित्त मंत्रालय इस पर दिए जाने वाले ब्याज के प्रस्ताव पर निर्णय करेगा।

वित्त मंत्रालय बहुत समय से श्रम मंत्रालय से भविष्य निधि पर ब्याज को लोक भविष्य निधि, डाक घर की बचत योजनाओं जैसी अन्य लघु बचत योजनाओं के समान करने के लिए कह रहा है।

क्यों घटाईं गई ब्याज दरें?

EPFO ने 18 लाख करोड़ कई क्षेत्रों में निवेश किया है। इसमें 4500 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज में लगाए गए हैं। एक ओर डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं IL & FS को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है।

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